इस घटना का फुटेज स्थानीय चैनलों पर दिखाया गया। इस घटना ने 2016 के उस वाकिए की याद दिला दी, जब एक व्यक्ति को अपनी पत्नी का शव कंधे पर रखकर 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। यह घटना लक्ष्मीपुर ग्राम पंचायत के अतंकपुर गांव में हुई। मुकुंद डोरा को पोस्टमार्टम के लिए बेटी बबीता का शव एक बोरे में रखकर अपने कंधे पर ढोने के लिए बाध्य होना पड़ा।
बच्ची 11 अक्टूबर को लापता हो गई थी। विशेष राहत आयुक्त कार्यालय में एक अधिकारी ने बताया कि बबीता भारी बारिश के कारण आयी बाढ़ में बह गई थी। डोरा ने कहा, ‘हमें अपनी बेटी का शव बुधवार को एक नाले के पास मिला। पुलिस को इसकी जानकारी दी गई और वे आज सुबह हमारे गांव आए तथा शव की तस्वीरें खीचीं।’
डोरा ने कहा कि मैं एक गरीब आदमी हूं और गांव से अस्पताल ले जाने के लिए किसी गाड़ी का खर्च नहीं उठा सकता। इसके साथ ही मेरे गांव की सड़क भी चक्रवात के कारण खराब हो गई है, इसलिए मैंने शव को एक बोरे में रखा और इसे अपने कंधे पर ले जाने लगा।