उन्होंने इस आधार पर तलाक मांगा कि उनकी शादी इस हद तक टूट चुकी है कि अब वापस साथ रह पाना संभव नहीं है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने पायल को नोटिस जारी किया और कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख 23 अप्रैल से पहले जवाब दायर करें। अदालत ने मामले में जल्द सुनवाई करने के उमर के आवेदन पर भी पायल से जवाब मांगा।
उमर की वकील मालविका राजकोटिया ने दावा किया कि अदालत ने इससे पहले की तारीख पर पक्षों से पूछा था कि क्या वे फिर से शादी करना चाहते हैं। इस पर पायल ने उमर की मंशा पर सकारात्मक जवाब दिया था। उमर का तलाक मांगने का आवेदन उस याचिका के साथ आया है, जिसमें उन्होंने तलाक मांगने का अपना आवेदन खारिज किए जाने के निचली अदालत के 30 अगस्त 2016 के आदेश को चुनौती दी है।
उन्होंने तर्क दिया है कि उनकी शादी इस हद तक टूट चुकी है कि अब वापस साथ रह पाना संभव नहीं है। निचली अदालत ने कहा था कि उमर यह साबित करने में विफल रहे हैं कि उनकी शादी इस हद तक टूट चुकी है कि अब वापस साथ रहना संभव नहीं है। इसने यह भी कहा था कि उमर ‘क्रूरता’ या ‘छोड़कर चले जाने’ के अपने दावे साबित करने में भी विफल रहे हैं, जो उन्होंने तलाक के लिए आधार बताए थे।
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उमर ने अपनी अपील में दावा किया था कि उनकी शादी इस हद तक टूट गई है कि अब वापस साथ रह पाना संभव नहीं है। 2007 से उन्हें दांपत्य संबंधों का सुख नहीं मिला है। उमर और पायल की शादी एक सितंबर 1994 को हुई थी और वे 2009 से अलग रह रहे हैं। दंपति के दो बेटे हैं, जो अपनी मां के साथ रह रहे हैं। (भाषा)