पाक गोलीबारी से परेशान भारत के सीमावर्ती गांव

सुरेश डुग्गर

मंगलवार, 1 नवंबर 2016 (16:58 IST)
जम्मू। पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी अर्थात लाइन ऑफ कंट्रोल पर कई सेक्टरों में दोनों सेनाओं द्वारा तोपखानों का इस्तेमाल पिछले कई दिनों से किया जा रहा है। जम्मू सीमा पर भी छोटे तोपखानों के मुंह खुल चुके हैं। इस हालात को भारतीय सेना न युद्ध और न शांति के तौर पर निरूपित कर रही है। गोलाबारी से त्रस्त कई गांवों में सीमावासियों के लिए परेशानी का सबब यह है कि वे पलायन करें या नहीं। सिर पर गोलों की बरसात हो रही है। इन सबके बावजूद उस सीजफायर की बात अभी भी हो रही है जो इस महीने की 26 तारीख को अपने अस्तित्व के 13 साल पूरा करेगा।
राजौरी तथा पुंछ के सीमांत जिलों की दशा सबसे नाजुक है। पिछले एक सप्ताह की गोलाबारी के कारण 200 के करीब मवेशी मारे जा चुके हैं। दो सौ से अधिक मकान गोलों के कारण जमींदोज हो चुके हैं। अभी तक दस दिनों में 10 फौजी मारे गए हैं और 9 नागरिकों की मौत हो चुकी है व दर्जनों लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। यह सब 26 नवंबर 2003 को घोषित सीजफायर के बाद पहली बार हुआ है।
 
सीमा पार का माहौल भी कुछ ऐसा ही है। अगर सेनाधिकारियों के बयानों पर जाएं तो उस पार तबाही कुछ ज्यादा होनी चाहिए, क्योंकि भारतीय पक्ष ने सेना मुख्यालय से निर्देश मिलने के बाद पाक सेना को जो करारा जवाब देना आरंभ किया है वह नजर आने लगा है। उस पार के पाकिस्तानी गांवों से नागरिक सुरक्षित स्थानों पर जा चुके हैं। करीब 150 भारतीय सीमांत गांव भी खाली हो चुके हैं। इनके बारे में आधिकारिक बयान यही है कि पाक सेना उन्हें सीधे तौर पर निशाना बना सकती थी इसलिए उनकी सुरक्षा की खातिर ऐसा किया गया है।
 
सीमाओं पर सीजफायर लागू होने के बावजूद पाक सेना द्वारा की जा रही इस कार्रवाई के बाद अब भारतीय सेना को इसके प्रति उम्मीद कम है कि सीजफायर जारी रहेगा। हालांकि वह इसके प्रति अधिक कुछ इसलिए भी नहीं बोलती है क्योंकि उसकी नजर में यह राजनीतिक फैसला है। अगर पुंछ स्थित सेनाधिकारियों की राय ली जाए तो ऐसा सीजफायर कहीं देखा नहीं जिसमें दुश्मन तोपखानों का भी इस्तेमाल कर रहा हो और हम सीजफायर की डोरी से हाथ बांधे खड़े रहें।
 
राजौरी स्थित सेना की 25वीं डिवीजन के जीओसी की पाकिस्तानी सेना को चेतावनी के बाद भी हालात सामान्य होते नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह अक्सर देखा गया है कि भारतीय पक्ष की किसी भी चेतावनी का असर पाक सेना पर नहीं हुआ है बल्कि हर चेतावनी के बाद उसने अपनी गोलाबारी को तेज ही किया है।

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