बच्ची द्वारा दुर्घटनावश अंडों को नुकसान पहुंचने के बाद गांव के बुजुर्गों की बैठक हुई जिन्होंने पाप की सजा के तौर पर बच्ची को जाति से बाहर कर दिया और उसके तीन दिन तक घर में प्रवेश करने पर रोक लगा दी। बहरहाल, प्रथम कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा को घर के सामने के बाड़ें में रहने की इजाजत दी गई।