हालांकि कोरोना काल के कारण इस बार पुतलों की संख्या सीमित कर दी गई थी। पहले यहां 28 से ज्यादा विशालकाय पुतले बनाए जाते थे। इस बार कोरोना के मद्देनजर रावण परिवार के 16 पुतले बनाए गए। स्थानीय कलाकार लंबे समय से इनके निर्माण को लेकर मेहनत करते हैं। पुतलों के निर्माण में इनकी कलात्मकता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
हर साल की तरह होने वाला रावण दहन का कार्यक्रम त्रिवेणी घाट पर नहीं होने से श्रद्धालुओं में काफी मायूसी दिखी। इस साल कोरोना महामारी के कारण कोरोना गाइडलाइन के अनुसार गंगा समिति द्वारा छोटे पुतले बनाकर बहाए गए।