विभाजन का दर्द : मोहन भागवत ने कहा कि आजादी के बाद विभाजन का दर्द मिला। विभाजन की टीस अब तक नहीं गई है। अब फिर विविधता की चौड़ी खाई बन गई है। उन्होंने कहा कि देश को जोड़ने वाली भाषा चाहिए। लोगों से सकारात्मक संवाद होना चाहिए। सामाजिक चेतना अब भी जाति आधारित भावनाओं से प्रभावित है और आरएसएस इसके समाधान के लिए काम कर रहा है।
घुसपैठियों के कारण बिगड़ा जनसंख्या संतुलन : संघ प्रमुख ने कहा कि घुसपैठियों के कारण जनसंख्या संतुलन बिगड़ रहा है। खास तौर पर सीमावर्ती राज्यों में आबादी असंतुलित हो गई है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति पर दोबारा विचार होना जरूरी है। सरकार को जनसंख्या नीति बनानी चाहिए और सभी वर्ग के लोगों के लिए लागू होनी चाहिए।