उत्तराखंड में नदियां उफान पर, गंगा ने दिखाया रौद्र रूप, पहाड़ी जिलों में तबाही...

निष्ठा पांडे
शनिवार, 19 जून 2021 (13:30 IST)
  • उत्तराखंड में भारी बारिश, नदी नाले उफान पर।  
  • पिथौरागढ़ में चीन सीमा से लगे करीब 80 गांव अलग-थलग पड़े।
  • हरिद्वार और देवप्रयाग में गंगा खतरे के निशान से ऊपर। 
  • बदरीनाथ राजमार्ग एनएच-58 समेत कई अन्य मार्ग भी बंद।
  • कालसी में बादल फटे, भूस्खल हुआ। राज्य में कई स्थानों पर लोग फंसे। 

देहरादून।  उत्तराखंड पहुंचे मानसून ने राज्य के पहाड़ी जिलों में तबाही मचाना शुरू कर दिया है। जगह-जगह सड़कें बंद हो गई हैं। पिथौरागढ़ में चीन सीमा से लगे करीब 80 गांव अलग थलग पड़ गए हैं। गंगा सहित कई नदियों का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। नदियों और नालों में पानी बढ़ने से लोगों के घरों में पानी घुस रहा है।
 
मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी देते हुए उत्तराखंड पौड़ी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चमोली जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। जबकि उत्तरकाशी, देहरादून, टिहरी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, उधमसिंह नगर, चंपावत जिलों में भी भारी बारिश की चेतावनी के साथ ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है।
 
बदरीनाथ हाईवे जगह-जगह भूस्खलन होने से बंद है। ऋषिकेश सहित कई स्थानों पर बारिश का पानी लोगों के घरों में घुस गया है। घरों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में जुटे हैं। 
 
मौसम के मिजाज को देखते हुए सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन ने सभी जिलाधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। हरिद्वार में गंगा नदी खतरे के निशान 294 मीटर से ऊपर 294.40 मीटर पर बह रही है। पानी के बहाव में भारी मात्रा में सिल्ट आने के कारण गंगनहर को बंद करना पड़ा है।
 
हरिद्वार प्रशासन ने इसके चलते अलर्ट जारी करते हुए सभी बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया था। डूब क्षेत्र को खाली करा लिया गया। साथ ही गंगा के तटीय इलाकों में सतर्कता बढ़ती जा रही है। 
 
देहरादून में आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम से मिली सूचना के रिस्पना नदी पुल से सटे चूना भट्टा इलाकों में बारिश के पानी से बाढ़ की स्थिति बन गई है। इसमें करीब 150 से 200 के बीच लोग फंस गए। पुलिस की टीम मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू कर रही है। लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है। यहां से दो सौ लोगों को रेन बसेरा भेजा गया है।
 
साथ ही प्रशासन सभी के रहने खाने की व्यवस्था कर रहा है। वहीं, किसी भी सूचना पर रेस्क्यू के लिए देहरादून के सहस्रधारा हेलीपैड पर चौपर तैयार रखा गया है। इसी तरह से कालसी में बादल फटने की सूचना है। इससे बड़े पैमाने पर भूस्खलन आया हुआ है और वहां पर काफी ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य नुकसान होने की सूचना है। 
भारी वर्षा के कारण कालसी चकराता मोटर मार्ग में झझरेड़ के पास मार्ग अवरुद्ध हो गया है तथा कुछ लोगो के फंसे होने की सूचना है। अलकनंदा नदी की लहरों के बीच धारी देवी मंदिर श्रीनगर गढ़वाल के निकट बदरीनाथ हाईवे पर धारी देवी मंदिर भी अलकनंदा नदी के उफान में घिरता जा रहा है।
 
टिहरी जिले में लगातार हो रही बारिश से देवप्रयाग में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। देवप्रयाग में 464.00 मीटर पर गंगा बह रही है, जबकि 463 से ऊपर खतरे का निशान है। संगम स्थल भी पानी में डूबा है।
 
बदरीनाथ राजमार्ग एनएच-58 भारी भूस्खलन के कारण ब्यासी के पास बंद है। मार्ग खोलने का प्रयास किया जा रहा है। दो लिंक रोड भी मलबा आने से बंद है।उत्तरकाशी जिले में  यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग धरासू बैंड के पास बंद है। मार्ग को सुचारु करने के लिए एनएच की टीम जुटी हुई है। अब तक प्राप्त सूचना अनुसार जिले के पांच संपर्क मार्ग बाधित है। डुंडा के धौंतरी क्षेत्र में बारिश हो रही है। वहीं, अन्य इलाकों में भी रुक रुक कर बारिश हो रही है।
 
ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग कंचन गंगा, रडांग बैंड, लामबगड़, हाथी पर्वत पर काली मंदिर, पागल नाला के पास बंद है। कौड़िया और क्षेत्रपाल में पहाड़ी से पत्थर गिर रहे हैं। कुमाऊं क्षेत्र को जोड़ने वाला हाईवे कर्णप्रयाग-थराली मोटर मार्ग भी कई जगह बंद है। कर्णप्रयाग-ग्वालदम सड़क पर नलगांव और आमसौड़ा के मध्य सड़क बाधित होने से वाहनों में 150 लोग से फंसे हुए हैं।
 
जोशीमठ से दस किलोमीटर दूर विष्णुप्रयाग के पास भू-धंसाव से सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है। इससे सड़क के किनारे बने टिन शेड को भी नुकसान पहुंचा है। हालांकि सड़क के एक हिस्से से वाहन आ जा रहे हैं। प्रशासन के अनुसार लगातार हो रही बारिश के कारण अभी यहां पर मरम्मत का कार्य शुरू नहीं किया गया है। 
 
पर्वतीय क्षेत्र में बारिश लगातार जारी है, जिससे रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग क्षेत्र में भी नदियां उफान पर हैं। केंद्रीय जल आयोग की ओर से प्रशासन को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा का जलस्तर ऋषिकेश में सुबह सात बजे खतरे के निशान 340.50 मीटर से मात्र 10 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गया है। जल स्तर में निरंतर वृद्धि जारी है। त्रिवेणी घाट का प्लेटफार्म पानी में डूब गया है।
 
गंगा में उफान को देखते हुए केंद्रीय जल आयोग के कर्मचारी पूरी रात जागकर आयोग की ऋषिकेश चौकी में जल स्तर पर नजर बनाए हुए थे। पुलिस प्रशासन की ओर से भी गंगा के तट क्षेत्र में निरंतर नजर रखी जा रही थी। लक्ष्मण झूला क्षेत्र में भी सभी घाट जलमग्न हो गए हैं। परमार्थ निकेतन के समीप शिव की विशाल मूर्ति का प्लेटफार्म पानी में डूब गया है। सिर्फ मूर्ति नजर आ रही है। भी घाटों में पानी के साथ सिल्ट आ गया है। पर्वतीय क्षेत्र से गंगा नदी में सामान और पेड़ बहते देखे गए हैं।
 
कुमाऊं के सभी जिलों में लगातार बारिश हो रही है। पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा में पहाड़ी खिसकने व नदी का जलस्तर बढ़ने से काफी नुकसान हुआ है। पिथौरागढ़ का शेष कुमाऊं से संपर्क पूरी तरह से कट गया है। पिथौरागढ़ जिले में शुक्रवार सायं चार दिन बाद खुला टनकपुर-तवाघाट (एनएच-125) घाट से पिथौरागढ़ के बीच चार स्थानों पर मलबा आने से फिर बंद हो गया है।
 
काली नदी और गोरी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गोरी नदी के कटाव से मुनस्यारी के भदेलीबागड में राजेश की दुकान और मकान बह गया है। नदी के कटाव से डरे लोग मकान छोड़ कर ऊंचाई वाले स्थान पर शरण लिए है। बंगापानी तहसील के छोरीबगड में सुरक्षा दीवार ढह गई है और गोरी नदी लगातार कटाव कर रही है। जौलजीबी-मुनस्यारी मार्ग और थल-मुनस्यारी मार्ग बंद होने से मुनस्यारी और बंगापानी तहसीलो का जिला मुख्यालय से सड़क संपर्क टूट गया है।
 
धारचूला से आगे तवाघाट मार्ग दोबाट के पास बंद है। तवाघाट-लिपुलेख मार्ग में तईंटोला से लेकर उच्च हिमालय में कई स्थानों पर मलबा आया है। तवाघाट-दारमा मार्ग तवाघाट से डेढ़ किमी आगे ध्वस्त हो गया है। मुनस्यारी में दरकोट-मिलम मार्ग बंद होने से चीन सीमा से लगे अस्सी से अधिक गांवों का भी संपर्क टूट गया है। 
 
पिथौरागढ़ जिले में शुक्रवार सायं चार दिन बाद खुला टनकपुर-तवाघाट (एनएच-125) घाट से पिथौरागढ़ के बीच चार स्थानों पर मलबा आने से फिर बंद हो गया है। काली नदी और गोरी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गोरी नदी के कटाव से मुनस्यारी के भदेलीबागड में राजेश की दुकान और मकान बह गया है। नदी के कटाव से डरे लोग मकान छोड़ कर ऊंचाई वाले स्थान पर शरण लिए है।
 
बंगापानी तहसील के छोरीबगड में सुरक्षा दीवार ढह गई है और गोरी नदी लगातार कटाव कर रही है। जौलजीबी-मुनस्यारी मार्ग और थल-मुनस्यारी मार्ग बंद होने से मुनस्यारी और बंगापानी तहसीलो का जिला मुख्यालय से सड़क संपर्क टूट गया है।
 
धारचूला से आगे तवाघाट मार्ग दोबाट के पास बंद है। तवाघाट-लिपुलेख मार्ग में तईंटोला से लेकर उच्च हिमालय में कई स्थानों पर मलबा आया है। तवाघाट-दारमा मार्ग तवाघाट से डेढ़ किमी आगे ध्वस्त हो गया है। मुनस्यारी में दरकोट-मिलम मार्ग बंद होने से चीन सीमा से लगे अस्सी से अधिक गांवों का भी संपर्क टूट गया है।
 
अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ को जोड़ने वाले हाईवे पर ओखलगड़ा के पास पहाड़ी का हिस्सा रात में टूटकर सड़क पर आ गया। टनकपुर-चम्पावत हाईवे पर जगह-जगह मलबा आने से यातायात प्रभावित हो रहा है। बागेश्वर जिले में सरयू और गोमती नदी उफान पर है। जिले की 20 सड़कें बंद हैं।
 
18 जून की रात को कोतवाली लाल कुआं को सूचना प्राप्त हुई थी की गोला नदी में पानी का बहाव अचानक बहुत तेज हो गया है और दो व्यक्ति उस बहाव में फंस गए हैं। नदी पार कर दोनों फंसे हुए व्यक्तियों का सकुशल रेस्क्यू किया गया। 

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