मारूधर आर्ट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र मारू के अनुसार, बीजापुर दार-उज-जफर टकसाल के इस स्वर्ण मोहर पर फारसी मुद्रालेख है। उन्होंने कहा, 10.90 ग्राम का यह सिक्का करीब-करीब प्रचलन में नहीं था। इसलिए यह अनोखा है।
मारूधर आर्ट्स के बयान के अनुसार, काम बख्श ने कई लड़ाइयों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उसने 1707 में बीजापुर किले पर कब्जा कर लिया और अपने आप को राजा घोषित कर दिया। हैदराबाद, गुलबर्गा (अब कलबुर्गी), शाहपुर एवं विकीनखेड़ा को जीतने के साथ धीरे-धीरे उसका दक्कन के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा हो गया।
नीलाम घर ने कहा कि प्रशासन चलाने में काम बख्श की अकुशलता के चलते उसके साम्राज्य का पतन हो गया। औरंगजेब के बड़े बेटे शाह आलम बहादुर ने जब मुगल साम्राज्य की बागडोर संभाली, तब उसने काम बख्श द्वारा अपने नाम के सिक्के छपवाने का गंभीर संज्ञान लिया।