जहां सांपों के काटने से नहीं होती मौत

भारत देश अजूबों से भरा पड़ा है और हमारे देश में लोग ऐसी-ऐसी बातों पर विश्वास करते हैं जोकि दुनिया भर के लोगों के लिए आश्चर्यजनक या हास्यास्पद हो सकती हैं, लेकिन इन्हें हमारे देश में पूरी तरह से सच माना जाता है। सच भी इसलिए माना जाता है कि यह विश्वास आंखों देखी, कानों सुनी घटनाओं पर भरोसा करने पर ही पैदा होता है। 
 
हमारे देश के बिहार प्रांत के एक गांव की खासियत यह है कि यहां लोगों को भले ही सांप काट लें और उनके काटने का असर भी हो लेकिन काटने की इन घटनाओं से किसी की मौत नहीं होती है। 
 
यहां अगर बच्चे भी सांप देख लेते हैं तो उसे पकड़ने के लिए भाग खड़े होते हैं। बिहार के समस्तीपुर नाम जिले के मुख्यालय से करीब 23 किमी दूर एक गांव है, जिसका नाम सिंधिया घाट है। इस गांव का सांपों से गहरा संबंध है।
 
गांव में रहने वाले लोग दिनभर सांपों से खेलते हैं और खेल-खेल में कई बार सांपों ने बच्चों को काट भी लिया लेकिन सांप के काटने का किसी पर भी कोई असर नहीं हुआ। इस गांव के रहवासी मानते हैं कि गांव वालों पर माता भगवती का आशीर्वाद है, इसलिए किसी भी आदमी की आज तक सांपों के काटने से मौत नहीं हुई है। वास्तव में, बिहार और झारखंड प्रांत में ऐसे कई गांव हैं जिनमें लोग सांपों पकड़कर रखते हैं और पैसों के लिए इनका सार्वजनिक प्रदर्शन करते हैं। 
 
यहां लोग कहते हैं कि सांपों के काटने का लोगों पर कोई असर नहीं होता है और इस गांव में नागपंचमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। एक अजीब सी प्रथा के अनुसार यहां पूजा करने के बाद गांव का प्रत्येक सदस्य दही के साथ नीम के पत्ते खाता है। गांव के लोग विश्वास करते हैं कि ऐसा करने से गांव के लोगों पर भगवान की आशीर्वाद सदैव बना रहता है।
 

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