अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में होने वाली फिल्मी सितारों की रामलीला को लेकर संत समाज विरोध में उतर आया है। रामलीला का मुख्य रूप से विरोध उसकी भाषा शैली व कलाकारों का रहन-सहन एवं वेशभूषा को लेकर किया जा रहा हैं। संत समाज का कहना है कि आध्यात्मिक व पौराणिक संस्कृति, परंपरा वाली धार्मिक मान्यता की रामलीला का आयोजन होना चाहिए।
बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश दास ने कहा कि रामलीला हमारी उपासना में आती है। इसमें यदि किसी तरीके का हास- परिहास होता है तो उसको स्वीकार नहीं किया जा सकता। फिल्म जगत के लोगों को शास्त्र और अध्यात्म की कितनी जानकारी है यह मैं नहीं जानता। पिछले वर्ष वर्चुअल रामलीला के नाम पर जो अभद्र प्रदर्शन हुआ है, उस प्रदर्शन को देखते हुए हम इसका विरोध करते हैं। रामलीला में काम करने वाले कलाकारों का रहन-सहन खानपान कैसा है, यह ध्यान में रखा जाता है।
परंपराओं से न हो खिलवाड़ : अवधेश दास हमलावर होते हुए बोले कि मांस-मदिरा सेवन करने वाले लोग मंच पर अभद्र प्रदर्शन करेंगे। यह संत समाज की समझ के बाहर है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि अयोध्या में ऐसी रामलीला मंडलियां हैं, जिन्होंने विदेशों तक अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। ऐसी रामलीला को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। फिल्म जगत की रामलीला करने का कोई मतलब नहीं है। इसका हम संत समाज के लोग विरोध कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। सनातन संस्कृति और उपासना के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ न किया जाए।