जम्मू। सच में यह चौंकाने वाली बात है कि आतंकी गुट अब नए भर्ती हुए युवकों, भर्ती के इच्छुक युवकों, यहां तक कि ओवर ग्राउंड वर्करों को भी कश्मीर के भीतर ही 'लाइव ट्रेनिंग' दे रहे हैं। इसकी पुष्टि कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार भी करते थे जिनके बकौल कश्मीर में इस साल अभी तक हुई 28 नागरिकों की हत्याओं में से 24 आतंकियों की 'लाइव ट्रेनिंग' का ही हिस्सा थीं।
चिंता का विषय यह नहीं है कि मारे जाने वाले किस समुदाय से संबंध रखते थे बल्कि परेशानी का कारण आतंकियों द्वारा अब भर्ती किए गए नए रंगरूटों, भर्ती के इच्छुक गुमराह युवकों तथा ओवर ग्राउंड वर्करों को जो 'लाइव ट्रेनिंग' दी जा रही है, वह है। इस 'लाइव ट्रेनिंग' में आतंकी गुट उन्हें पिस्तौलों का इस्तेमाल करना सिखाते हैं और सीधे टारगेट को हिट करना भी।
पुलिस मानती है कि यह एक नया और खतरनाक ट्रेंड है। उनके मुताबिक नए रंगरूट और आतंकी गुटों में भर्ती के इच्छुक गुमराह युवकों को 'ट्रेनिंग' के लिए उस पार भिजवा पाना मुश्किल हो रहा है और उन्हें एके राइफलों से भी 'ट्रेनिंग' इसलिए नहीं दी जा रही है, क्योंकि आतंकी खुद भी हथियारों व गोला-बारूद की कमी का सामना कर रहे हैं।