तृणमूल ने यह भी आरोप लगाया कि तुनकमिजाजी नरेंद्र मोदी सरकार की राज्य नीति का हिस्सा बन गई है और मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में काम कर रहे बंदोपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई संघीय टकरावों में एक भड़काऊ अध्याय शुरू करने के समान है। हालांकि, भाजपा ने आरोपों को निराधार बताते हुए इससे इंकार किया और ममता बनर्जी नीत पार्टी पर नौकरशाही के राजनीतिकरण का आरोप लगाया। तृणमूल के वरिष्ठ सांसद और पार्टी प्रवक्ता सौगत राय ने कहा कि भाजपा ने अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के कामकाज को बाधित करने का सहारा लिया है। प्रधानमंत्री डीओपीटी के प्रमुख हैं। यह व्यक्तिगत रोष के अलावा कुछ नहीं है।
तृणमूल की टिप्पणी के एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने कथित कदाचार और दुर्व्यवहार को लेकर अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही शुरू की है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) ने आरोपों का उल्लेख करते हुए बंदोपाध्याय से भेजे गए 'ज्ञापन' का 30 दिनों के अंदर जवाब भेजने को कहा है। कुछ दिन पहले बंदोपाध्याय की मां के निधन होने का जिक्र करते हुए राय ने दावा किया कि केंद्र सरकार हृदयहीन भी है।
उन्होंने कहा कि वे (केंद्र) अलपन को उन लाभों से वंचित करना चाहते हैं जिनके वह सेवानिवृत्ति के बाद हकदार थे। बंगाल में (चुनाव में) हार के बाद, भाजपा राज्य सरकार के कामकाज में अनावश्यक गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रही है।
पश्चिम बंगाल भाजपा ने तृणमूल के आरोपों से इंकार किया और दावा किया कि सत्ताधारी पार्टी ने नौकरशाही का राजनीतिकरण किया है। राज्य भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि हम व्यक्तिगत रूप से अलपन बंदोपाध्याय या किसी के खिलाफ नहीं है। वह एक अखिल भारतीय कैडर अधिकारी थे और यह मामला उनके और केंद्र सरकार के बीच है। तृणमूल ने पुलिस और नौकरशाही का राजनीतिकरण किया है और अपने राजनीतिक हितों के लिए उनका इस्तेमाल कर रही है।(भाषा)