भारती ने भूमि जल बोर्ड के कार्यालय को लेकर कहा, 'बहुत दिनों से जमीन पड़ी थी और पैसा लैप्स हो रहा था। अब चक्कर क्या होता है ब्यूरोक्रेटस के साथ..वह बेचारे पिंजरे में बंद चिड़िया होते हैं। और उससे बाहर नहीं निकलते। अच्छा उनको बाहर निकालों तो ऐसे आएंगे धीरे-धीरे। उनसे कोई चीज कैंसिल करवाई जा सकती है, लेकिन पहल नहीं करवाई जा सकती। क्योंकि रद्द करवाना बहुत आसान होता है, पाबंदी आसान होती है किन्तु सृजन बहुत कठिन होता है।
कार्यक्रम के बाद जब संवाददाताओं ने उनसे इस संबंध में सवाल किया तब उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई चीज कैंसिल करवानी हो तो बहुत आसान होता है। लेकिन कोई चीज शुरू करना हो तो बहुत कठिन होता है। क्योंकि वह नियमों के पिंजरे में होता है। नियम हम बनाए होते हैं। हम ही कहते हैं कि इस नियम के दाएं-बाएं हो। इसमें दिक्कत आती है।
उमा भारती ने उन आरोपों को बेबुनियाद बताया कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है इसलिए केंद्र उड़ीसा के हितों की अनदेखी कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर बेबुनियाद और गलत आरोप है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि बिना किसी भेदभाव के विकास के कामों में हम टीम इंडिया की तरह काम करेंगे। (भाषा)