मेरठ। योगी सरकार 2.0 में प्राइमरी स्कूल की रंगत बदलती नजर आ रही है, ये स्कूल अब कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं। यूपी के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों के छात्र अब नामचीन विद्यालय के साथ कदमताल करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में मेरठ ग्रामीण क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल के छात्र अब खेल-खेल और हाईटेक लैब के जरिए ज्ञान-विज्ञान को जान रहे हैं। रूलर क्षेत्र के रहने वाले आमजन के लिए इस प्रयोगशाला को खुला रखा है ताकि जिज्ञासु महिला-पुरुष इस लैब के माध्यम से विज्ञान संबंधी ज्ञान पिपासा को शांत करके उसे समझ सकें।
मेरठ में प्राइमरी स्कूल के बच्चों शिक्षा को रोचक बनाने के लिए एक नई पहल की गई है। छात्र-छात्राओं में पढ़ाई के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए मुख्य विकास अधिकारी की पहल पर मोहिद्दीनपुर में एक अत्याधुनिक लैब तैयार की गई है, ताकि बच्चे खेल खेल में विज्ञान की जटिलताएं सरलता के साथ सीख सकें। इस प्रयोगशाला का नाम आधारशिला रखा गया है। सीडीओ का मानना है कि यदि छात्र का आधार (बेस) मजबूत होगा तो वह जीवन में किसी भी जटिलता का सामना आसानी से कर सकता है।
मेरठ के उच्च प्राथमिक विद्यालय मोहिद्दीनपुर में खुली इस लैब में प्रयोग के माध्यम से बच्चों के कॉंसेप्ट क्लीयर किए जाते हैं। प्राइमरी के बच्चे किताबों में लिखा पढ़ते है, लेकिन उनको उस समझ में नहीं आता क्योंकि वे प्रयोग देख नहीं पाते हैं। हालांकि उनको टीचर कॉन्सेप्ट क्लीयर करने के लिए चित्रों का सहारा लेते हैं। जब छात्र उच्च क्लास में प्रयोग देखता है तो उसे याद आता है कि हम जब छोटे थे, तब हमने पढ़ा था। इस अनूठी प्रयोगशाला पर मेरठ के सीडीओ शशांक चौधरी का कहना है कि हमारा मकसद ऐसा नॉलेज सेंटर डेवलेप करने का है जिससे बच्चे पढाई को उबाऊ न समझे, ज्ञान सिर्फ किताबी न हो बल्कि विज्ञान के हर प्रयोग को वे सरलता से ग्रहण कर सकें।
आधार शिला लैब द्वारा घर में प्रयोग कि जाने वाली वस्तुओं का विज्ञान भी समझाया जा रहा है। ये लैब ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों के लिए भी खुली रहती है, जो ग्रामीण अपने बाल्यकाल में विज्ञान को समझ नहीं सके वे अब आधारशिला में सीख सकते हैं। सीडीओ का कहना है कि बैसिक शिक्षा के स्कूल जूनियर और प्राइमरी स्कूल में नॉलेज सेंटर डेवलेप करने का प्रयास किया जा रहा है। छात्र खुद प्रैक्टिकल मॉडल देखेंगे और अपने मॉडल तैयार करेंगे तो पढ़ाई को आसानी से समझ सकेंगे। इस लैब के माध्यम से बायोलाजी, केमिस्ट्री, फिज़िक्स के कठिन फॉर्मूलों को आसानी से समझा जा सकता है। यही नहीं, छात्रों के साथ-साथ पूरे गांव को साइंटिफिक टेम्परामेंट बढा़वा देने की योजना है।
आधारशिला में माइक्रोस्कोप, टेलिस्कोप, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, न्यूटन लॉ, इलेक्ट्रोमैगनेटिज्म के बारे में भी बच्चों को बताया जाता है। आगामी दिनों में इस लैब को आसपास के गांवों स लिंक करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि अन्य प्राइमरी स्कूल के बच्चे इस अनूठी पहल का लाभ पाकर विज्ञान को जान सके। आधारशिला प्रयोगशाला के माध्यम से बेसिक शिक्षा के आधार को मज़बूत करने की यह सार्थक पहल स्वागत योग्य है। इसीलिए मेरठ में खुली प्राइमरी स्कूल की नई प्रयोगशाला का नाम आधारशिला रखा गया है।
मेरठ के मुख्य विकास अधिकारी मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के छात्र आमतौर पर सोचते थे कि वे मंहगी शिक्षा के चलते बाहर जाकर विज्ञान की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। अंग्रेजी स्कूलों में मॉडल बनाकर पढ़ाई करवाई जाती है, जिसके चलते उनकी नींव कमजोर रह जाती है। लेकिन आधारशिला के माध्यम से रूलर के बच्चे भी विज्ञान की जटिलताओं को आसानी से समझकर अपनी रूचि के अनुरूप पढ़ाई करके भविष्य को निखार सकेंगे।
सीडीओ शशांक ने इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को भी आधारशिला की विज़िट का निमत्रंण दिया है ताकि इंजीनियरिंग के छात्र यहां आकर इसे डेवलप करने के लिए अपने सुझाव दें। मेरठ के जिन प्राइमरी स्कूलों में अभी ऐसी लैब नहीं है वहां महीने में एक दिन अन्य स्कूल के छात्रों को भ्रमण कराया जाएगा। छात्रों में सृजनात्मक क्षमता पैदा करने के लिए मॉडल बनवाए जाएंगे, बेहतर मॉडल बनाने वाले छात्र और उसका ब्लॉक पुरस्कृत होगा। वास्तव में बेसिक शिक्षा मज़बूत और क्रिएटिव होगी तो देश के प्राइमरी के छात्रों आधार मजबूत होगा और भविष्य उज्ज्वल।