ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा धरती पर हल चलाने लगे। हल चलाते समय उन्हें एक मटका मिला, जिसमें उन्हें एक सुंदर कन्या मिली। चूंकि राजा जनक के कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने इसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। जनक पुत्री होने के नाते सीता को जानकी भी कहा जाता है।