उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही बुनियादी जरूरतों को दुरुस्त करने की शुरूआत हुई। इसमें बिजली व्यवस्था को ठीक करना भी शामिल था। पहले सरकार ने गांवों में 18 घंटे बिजली देने की योजना बनाई। इसके अनुरूप प्रदेश सरकार ने जिला मुख्यालय को 24 घंटे, तहसीलों को 20 घंटे और गांवों को को 18 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है।
सबसे बड़ी समस्या पुराने ट्रांसफार्मर को बदलने की थी। उस दिशा में बिजली विभाग में सबसे अच्छा काम किया है। गांवों को मिलने वाली बिजली से ग्रामीण संतुष्ट हैं। फिलहाल, उत्तर प्रदेश की विद्युत आपूर्ति भार करीब 15 हजार मेगावाट है, जो मई-जून की गर्मियों में 18-19 हजार मेगावाट तक पहुंच जाती है, जबकि इस दौरान राज्य के सरकारी ताप और पन बिजली परियोजनाओं से महज 4000-4500 मेगावाट बिजली पैदा होती है। प्राइवेट बिजलीघरों का उत्पादन भी 5,000 मेगावाट के आसपास है।
केंद्र सरकार के बिजली घरों में यूपी का कोटा करीब 6,000 मेगावाट है, जिसमें उसे करीब 5,000 मेगावाट बिजली मिल रही है। इस तरह यूपी के पास करीब 14,500 मेगावाट बिजली का प्रबंध है। बाकी जरूरत पूरी करने के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने करीब 3,000 मेगावाट बिजली खरीद के दीर्घकालिक और अल्पकालिक करार किए हैं। जिससे लोगों को परेशानी ना हो। जले हुए ट्रांफार्मर को 24 घंटे बदलने की व्यवस्था भी सरकार ने की है। इसकी सूचना किसी माध्यम से विभाग को एकत्र करनी चाहिए। इससे समस्या का समाधान आसान हो जाएगा।
प्रदेशवासियों के लिए अब गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों यानी बीपीएल कार्ड धारकों को मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिया जा रहा है। योगी सरकार बीपीएल कार्डधारकों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत ये लाभ दे रही है। इसके लिए विभाग बढ़चढकर काम कर रहा है। उपखंड अधिकारी विद्युत वितरण कार्यालय से इसकी पूरी जानकारी मिल सकती है। बिजली कनेक्शन के प्रति लोगों को आकर्षित करने की ये पहल एक अभियान के रूप में प्रदेश में चलाई जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया की मुहिम भी बिजली विभाग में नजर आ रही है। प्रदेश का बिजली विभाग इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है। मुफ्त बिजली कनेक्शन, प्रीपेड मीटर, ऑनलाइन बिल और कई सुविधाएं जनहित में लागू कर दी गई हैं। इससे उत्तर प्रदेश में बिजली संकट को दूर करने और विद्युत व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए बड़ा विकल्प कहा जा रहा है। केन्द्र सरकार ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के सभी घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए ‘सौभाग्य' योजना की शुरुआत की है।
प्रधानमंत्री ने जनसंघ विचारक दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर देश को इस महत्वपूर्ण योजना की सौगात दी है। सौभाग्य योजना का मतलब प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना है। इसके तहत हर गांव, हर शहर के हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। 31 मार्च 2019 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत 2011 के सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना में दर्ज गरीबों को बिजली का कनेक्शन फ्री दिया जाएगा। जिन लोगों का नाम इस जनगणना में नहीं है वह भी 500 रुपए का भुगतान कर बिजली का कनेक्शन हासिल कर सकेंगे।
इस राशि को 10 किस्तों में बिजली के बिलों के रूप में लिया जाएगा। सौभाग्य योजना के तहत सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों में बिजली से वंचित आवासों को मोदी सरकार बैट्री बैंक उपलब्ध कराएगी। इसमें 200 से 300 डब्ल्यूपी का सोलर पावर पैक है, जिसमें पांच एलईडी लाइटें, एक डीसी पंखा, एक डीसी पावर प्लग और 5 साल के लिए मरम्मत शामिल है। यूपी में अब बिजली उपभोक्ता को किसी शिकायत के लिए विभाग के दफ्तर में भटकने की आवश्यकता नहीं है। प्रदेश में टोल फ्री नंबर 1912 पर कॉल कर उपभोक्ता विद्युत संबंधित शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
अब यूपी में ट्रांसफॉर्मर बदले जाने का भी समय तय है। शहरी क्षेत्र में अधिकतम 24 घंटे में ट्रांसफॉर्मर बदला जाएगा। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 48 घंटे में ट्रांसफॉर्मर बदला जाएगा। खुद करें मीटर रीड, जमा करें बिल सूबे में बिजली का बिल जमा करने के लिए अभी तक उपभोक्ताओं को रीडर का इंतजार करना पड़ता था कि वो आए और मीटर रीडिंग करें। उसके बाद निर्धारित बिल जमा होगा। लेकिन अब से ऐसा नहीं होगा। पावर कॉरपोरेशन में एक नई व्यवस्था शुरू कर दी गई है। उपभोक्ता चाहे तो वो खुद मीटर रीड करे फिर बिजली बिल भुगतान वाले काउंटर पर अपनी मीटर रीडिंग बताकर बिजली बिल का भुगतान करें।
विद्युतीकृत घरों की संख्या में जबरदस्त इजाफा- 31 मार्च 2018 तक 37.55 लाख घरों को कनेक्शन देने लक्ष्य रखा गया है । सरकार 30 लाख से ज्यादा घरों को बिजली कनेक्शन दे चुकी है। यह लक्ष्य विभाग का 80 फीसदी है। सौभाग्य योजना के तहत विभाग लक्ष्यपूर्ति की दिशा में तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश का हर घर रोशन होगा। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 8.4 लाख और 2015-16 में केवल 7.5 लाख घरों को कनेक्शन दिए गए थे। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में सुधार- एक साल पहले प्रदेश के गांवों में बिजली की आपूर्ति कहने के लिए ही होती थी, लेकिन हमने इसे करके दिखाया। आज गांवों में 18 घंटे तक बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
ग्राणीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में हमने 22.93 फीसदी की बढ़ोतरी इसी कारण दर्ज की गई है। पिछले सालों की तुलना में वित्तीय वर्ष 2016-17 में यह वृद्धि महज 17.94 फीसदी ही थी। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में बिजली की अधिकतम मांग में 17 फीसदी की वृद्धि के साथ हमने 1801 मेगावॉट बिजली की मांग को पूरा किया। वित्तीय वर्ष 2016-17 से तुलना करें तो यह 15501 मेगावॉट से ज्यादा है। जबकि इससे पहले वित्तीय वर्ष 2015-16 में 14503 और 2014-15 में 13330 और 2013-14 में 12327 मेगावॉट की डिमांड थी। विद्युत मांग में यह बढ़ोतरी सरकार के बेहतरीन प्रयासों से सुदूर क्षेत्रों में बिजली सप्लाई पहुंचने का परिणाम है।
इससे आने वाले वर्षों में विद्युत मांग में और ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी। औसत ऊर्जा आपूर्ति- मौजूदा समय में हम 333 मिलियन यूनिट बिजली प्रतिदिन सप्लाई कर रहे हैं। पिछले सालों की तुलना में बिजली सप्लाई में करीब 16 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, वृद्धि का यह आंकड़ा अब तक का सर्वाधिक है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में सप्लाई का औसत 287, 2015-16 में 255, 2014-15 में 239 और 2013-14 में 224 मिलियन यूनिट प्रतिदिन था। जनता संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर सके इसके लिए सरकार मिशन के मोड में काम कर रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में हमने 60 हजार मजरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। दिसंबर महीने में अब तक 50,666 मजरों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में केवल 23541, 2015-16 में 26946 मजरों तक ही बिजली पहुंचाई गई थी।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की मानें तो पिछली सरकारों से हमें जर्जर व्यवस्था विरासत में मिली। इसे दुरुस्त करने के लिए हमने दो साल का टारगेट रखा है। इस दो साल में प्रदेश में हर क्षेत्र की अव्यवस्थाओं को दूर कर देंगे। उन्होंने बिजली व्यवस्था पर तो बोल दिया कि अभी योगी सरकार ने इसे आईसीयू से बाहर निकाला है। पावर फॉर ऑल योजना को पिछली सरकार के मुखिया ने राजनीतिक दोष की वजह से लागू नहीं किया। वह परिवार की संपत्ति बढ़ाने पर ध्यान देते रहे।