उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा कि आप समाज में रह रहे हो, न कि जंगल की किसी दूर दराज की गुफा में । पड़ोसियों से लेकर समाज तक सबको आपके रिश्ते के बारे में पता है और आप बिना शादी किए, बेशर्मी से एक साथ रह रहे हो । फिर, लिव—इन संबंध का पंजीकरण आपकी निजता पर हमला कैसे हो सकता है?
इससे पहले, यूसीसी के खिलाफ दायर जनहित याचिका तथा अन्य याचिकाओं पर अदालत ने निर्देश दिया था कि यूसीसी से पीड़ित व्यक्ति उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अदालत इस मामले पर इसी तरह की अन्य याचिकाओं के साथ एक अप्रैल को सुनवाई करेगी।