नायडू ने रविवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘हर बात का अतिवादी अर्थ निकालना और उसका उपहास उड़ाना आजकल फैशन बन चला है। मेरी जान ले ली जाए तो भी मैं भारत माता की जय नहीं कहूंगा। फांसी के फंदे पर लटकने से पहले भगत सिंह ने भारत माता की जय कहा।’
ओवैसी का नाम लिए बगैर ही नायडू ने कहा, ‘स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, ‘वंदे मातरम’ ने सभी भारतीयों को एकजुट किया था। उसका मतलब, मां आपको प्रणाम। क्या माता? ईसाई माता नहीं, हिंदू माता नहीं, मुस्लिम माता नहीं, अगड़ी माता नहीं, पिछड़ी माता नहीं। माता तो माता है। उसमें आपत्ति क्या है। क्यों ऐसा कहा जाता है कि उसमें पूजा है। किस धर्म ने माता की पूजा करने को नहीं कहा है। मुझे बताइए। मैं जानने की कोशिश कर रहा हूं। मैं बहस के लिए तैयार हूं।’
यह आरोप लगाते हुए कि ऐसे बयान वोटबैंक राजनीति के लिए दिए जाते हैं, नायडू ने सवाल किया कि क्या वही (ओवैसी ही) मुसलमानों के नेता हैं। उन्होंने कहा, ‘क्या मुसलमानों ने कहा कि भारत माता की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने कहा कि धर्म व्यक्तिगत है। भारत माता की जय का मतलब भारत माता की मूर्ति की पूजा नहीं है बल्कि मन में भावना होना है। (भाषा)