Maharashtra news : प्रसिद्ध मराठी कवि, गीतकार और किसान नामदेव धोंडो महानोर (81) अक्सर इस बात का जिक्र किया करते थे कि कैसे उनके खेत में उगने वाले सीताफल का नाम महान गायिका लता मंगेशकर के नाम पर रखा गया। महानोर का आज सुबह 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
उन्होंने समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में कहा था कि बड़ी संख्या में लोग इस फल को 'सीताफल' के बजाय 'लताफल' कहते हैं।
उन्होंने बताया था कि विश्व प्रसिद्ध अजंता गुफाओं के पास उनके पलासखेड़ा गांव में भूमि बंजर होने और कभी-कभी जानवरों द्वारा फसल को नष्ट कर दिये जाने के बावजूद उनके खेत में उगाए गए सीताफल के आकार और स्वाद में कोई बदलाव नहीं आया।
उन्होंने कहा था कि यह सीताफल, भारत रत्न लता मंगेशकर की तरह सभी बाधाओं का सामना करने में सक्षम है जिन्होंने बहुत कम उम्र में अपने पिता को खोने के बावजूद अपने भाई-बहनों की देखभाल की और कड़ी मेहनत के बदौलत शिखर तक पहुंची।
महानोर ने कहा था कि इसलिए मैंने सीताफल की इस किस्म का नाम लता के नाम पर नहीं रखा कि उन्होंने जैत रे जैत और अन्य फिल्मों में मेरे लिखे गाने गाए हैं, बल्कि यह नाम इसलिए रखा, क्योंकि तमाम बाधाओं का सामना करने के बाद भी लता दीदी की आवाज में इस फल की तरह ही अद्धितीय मिठास है।
महानोर ने कहा था कि पहले इस फल को केवल खेत और उसके आसपास के इलाके में 'लताफल' कहा जाता था, लेकिन 1990 के बाद से लगभग सभी लोग इसे इसी नाम से बुलाने लगे।
उन्होंने बताया था कि पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में उनकी दो सर्जरी के दौरान लता मंगेशकर उनसे मिलने आई थीं।