खास बात यह है कि ऐसी स्थिति के लिए ही नवीन पटनायक की सरकार ने फरवरी में ‘महापरायण’ योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत शव को सरकारी अस्पताल से मृतक के घर तक पहुंचाने के लिए मुफ्त परिवहन की सुविधा दी जाती है जबकि माझी ने बताया कि बहुत कोशिशों के बावजूद उसे अस्पताल के अधिकारियों से किसी तरह की मदद नहीं मिली।
माझी ने कहा कि 'तमाम कोशिशों के बाद जब मदद नहीं मिली, तो मैंने पत्नी के शव को एक कपड़े में लपेटा और उसे कंधे पर लादकर भवानीपटना से करीब 60 किलोमीटर दूर रामपुर ब्लॉक के मेलघारा गांव के लिए पैदल चलना शुरू कर दिया।
खबरों के मुताबिक कुछ स्थानीय पत्रकारों ने माझी को शव लेकर जाते देखा और फिर जिला कलेक्टर से संपर्क किया। इसके बाद माझी को बाकी के 50 किमी की यात्रा के लिए एंबुलेंस मुहैया करवाई गई। कालाहांडी के कलेक्टर ब्रुंदा डी ने कहा कि 'जैसे ही हमें घटना की जानकारी मिली, हमने सीडीएमओ से बात की और तत्काल एंबुलेंस की व्यवस्था की।