विपक्ष का योगी सरकार पर धमकी देने का आरोप, विधानसभा से बहिर्गमन

गुरुवार, 20 जुलाई 2017 (15:08 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश सरकार पर विपक्ष को धमकी देने और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्य गुरुवार को विधानसभा से बहिर्गमन कर गए। सदन की बैठक शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को धमका रही है और चाहती है कि हम (विपक्ष) जेल चले जाएं।
 
चौधरी ने कहा कि सत्ता पक्ष हमारे पूरे परिवार को जेल में डालने की धमकी दे रहा है,  सदस्यों का अपमान किया जा रहा है और हमें अध्यक्ष से संरक्षण नहीं मिल रहा है। पिछले 40 साल में मैंने सदन में ऐसी स्थिति नहीं देखी। हम सभी बहिर्गमन कर रहे हैं। आप जैसे चाहें, सदन चलाएं। चौधरी का समर्थन करते हुए बसपा नेता लालजी वर्मा ने कहा कि जब भी विपक्षी सदस्य खड़े होते हैं, नियमों का हवाला दिया जाता है और उन्हें बोलने नहीं दिया जाता।
 
वर्मा ने कहा कि वित्तमंत्री के संबोधन के बाद नेता सदन के संबोधन का प्रावधान नहीं है। अगर नेता सदन को बोलने की अनुमति मिली तो नेता प्रतिपक्ष को भी बोलने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे हालात में सदन में रहने का कोई औचित्य नहीं है। 
 
कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाया कि बुधवार को जब नेता प्रतिपक्ष ने संबोधन शुरू किया तो उनके माइक को बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हम सभी ने विपक्ष के प्रति सरकार के रवैए को लेकर बहिर्गमन का फैसला किया है। विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित की बात भी नहीं सुनी और सदन से बहिर्गमन कर गए। 
 
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विपक्ष के आरोप से इंकार करते हुए कहा कि यह बात सही नहीं है कि विपक्ष की आवाज दबाई गई है और सरकार अहंकार में काम कर रही है।
 
उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 2012 से अब तक की गई नियुक्तियों की सीबीआई जांच की घोषणा करने में क्या गलत है? यह न्यायोचित कदम है। हमें जनादेश मिला है और जनता में संदेश जाना चाहिए हम जनता के लिए काम कर रहे हैं। किसी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया है। खन्ना ने कहा कि सदन से बाहर जाना जनादेश का अपमान है।
 
उन्होंने कहा कि योगीजी (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) ने तार्किक ढंग से सरकार के कामकाज को पेश किया है और यह विपक्ष की केवल खिसियाहट है। विपक्ष जो कर रहा है, वह सही नहीं है। खन्ना ने कहा कि उन्होंने सदन में आने से पहले सुबह नेता प्रतिपक्ष से बात की थी। अध्यक्ष दीक्षित ने कहा कि उन्होंने विपक्ष को बोलने का पर्याप्त समय दिया है।
 
उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने अपनी राय रखी और सदन से चले गए। सदन से जाने से पहले कम से कम उन्हें मेरी बात सुननी चाहिए थी। मैं विपक्ष से आग्रह करता हूं कि वह कार्यवाही में हिस्सा ले, क्योंकि प्रदेश की 22 करोड़ जनता ने उन्हें इसलिए चुनकर भेजा है ताकि उनकी आवाज सदन में उठाई जा सके।
 
खन्ना ने अध्यक्ष से कहा कि अगर वे चाहें तो सदन की बैठक कुछ देर के लिए स्थगित कर विपक्षी नेताओं से बातचीत कर सकते हैं ताकि उन्हें सदन में वापस आने के लिए राजी किया जा सके। इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की बैठक आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। (भाषा)

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