योगी आदित्यनाथ के मंत्री धरने पर, कलेक्टर को हटाने की मांग पर अड़े...
सोमवार, 3 जुलाई 2017 (13:16 IST)
लखनऊ। भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी (भासपा) के अध्यक्ष और सूबे के पिछड़ा वर्ग तथा दिव्यांग कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा है कि जिलाधिकारी को नहीं हटाया तो वह धरने पर जरूर बैठेंगे।
राजभर ने कहा कि धरने की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री या किसी अन्य वरिष्ठ मंत्री या भाजपा के नेता का फोन उनके पास नहीं आया है। यथास्थिति कायम है। मीडिया में खबरें आने के बावजूद जिलाधिकारी को हटाया नहीं गया है। मंगलवार सुबह 10 बजे तक का समय है। जिलाधिकारी नहीं हटा तो वह हर हाल में धरना देंगे। उन्हें मंत्री बने रहने का शौक नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मांगे नहीं मानी गईं तो भी वह मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि मैं गठबंधन सरकार का जिम्मेदार मंत्री हूं। मेरे जिले में ही जब मेरी नहीं सुनी जा रही है तो कार्यकर्ताओं की कौन सुनेगा। मैंने जिलाधिकारी से अब तक जनहित के 19 काम कहे हैं, लेकिन उन्होंने एक भी काम नहीं किया है। मैं इसके खिलाफ कल से धरने पर बैठूंगा।
मंत्री ने कहा कि मैंने इस संबंध में 25 जून को भाजपा के प्रदेश महासचिव (संगठन) सुनील बंसल से मुलाकात की थी। बंसल ने मुख्यमंत्री से मिलने की सलाह दी। 27 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें एक-एक चीज की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने उन्हें गौर से सुना, लेकिन गाजीपुर के प्रभारी मंत्री बृजेश पाठक से मिलने के लिए कहा। बृजेश पाठक से मिलकर सिलसिलेवार पूरा ब्योरा दिया, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ।
गाजीपुर के ही जहूराबाद क्षेत्र से विधायक राजभर ने कहा कि उन्हें ताज्जुब हो रहा है कि जनहित के 19 कामों के लिए जिलाधिकारी से कहा गया, लेकिन एक भी काम नहीं हुआ। उनका आरोप था कि जिलाधिकारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं और बार-बार कहते हैं कि जब उनका समाजवादी पार्टी सरकार में कुछ नहीं हुआ तो इसमें लोग क्या कर पाएंगे। उनका कहना था कि जिलाधिकारी को कहीं से राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है, इसीलिए वह जनभावनाओं का लगातार निरादर कर रहे हैं।
राजभर ने कहा कि बरदा विकासखंड पर कार्यरत शिक्षा अधिकारी की बहुत शिकायतें थीं। कार्यकर्ताओं ने उसके जांच की बात की। जांच तो नहीं हुई बल्कि जिलाधिकारी ने उसको एक विकासखंड का और प्रभार दे दिया। कासिमाबाद के उप जिलाधिकारी को चार दिन पहले लाया गया और दो दिन बाद ही हटा दिया गया। जनता की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं का उन पर लगातार दबाव है इसलिए वह धरने पर बैठने को मजबूर हैं। (वार्ता)