कर्नाटक में मराठियों पर हमला

सोमवार, 28 जुलाई 2014 (14:33 IST)
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मुंबई। शिवसेना ने कर्नाटक में मराठी भाषियों पर पुलिस के ‘हमले’ को सोमवार को ‘कन्नड़ आतंकवाद’ करार दिया और नरेन्द्र मोदी सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की।

शिवसेना मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया कि मुंबई में कर्नाटक भवन और कर्नाटक संघ भवन बुलंदी से खड़ा है। बहरहाल, कर्नाटक में ‘महाराष्ट्र राज्य’ बोर्ड बरदाश्त नहीं किया जाता है और उस पर इस तरह के निर्मम हमले को प्रेरित किया जाता है, जो हाफिज सईद तक को शर्मसार करता है।

संपादकीय में सवाल किया गया कि सभी राजनीतिक दलों ने महाराष्ट्र सदन के जबरिया रोटी खिलाने के मुद्दे की निंदा की। क्या वे कर्नाटक के मराठी भाषी लोगों पर इस अन्याय की निंदा करने में वही जोश-खरोश दिखाएंगे?

संपादकीय में कहा गया कि मोदी के रूप में हमने एक मजबूत प्रधानमंत्री पाया है और राजनाथ सिंह के रूप में हमने एक मजबूत गृहमंत्री पाया है। सीमांत इलाकों की मराठी भाषी आबादी को उनसे बहुत उम्मीदें हैं।

अगर कर्नाटक पुलिस मराठी भाषी लोगों के खिलाफ आतंकवाद में संलिप्त होती है तो इस आतंकवाद पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। हम यह अपील केंद्र सरकार से कर रहे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र में शासन करने वाले अयोग्य हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने रविवार को अपने कर्नाटक के समकक्ष सिद्दरमैया से टेलीफोन पर बात की। चव्हाण ने बताया कि उन्होंने सिद्दरमैया को कर्नाटक में मराठी भाषी लोगों पर हुए निर्मम हमले पर महाराष्ट्र के लोगों की भावनाओं से अवगत कराया।

इस बीच, महाराष्ट्र के उद्योगमंत्री नारायण राणे ने इस घटना पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि हम हमले पर विरोध जताने के लिए मुंबई में कर्नाटक दिवस समारोह मनाए जाने की इजाजत नहीं देंगे। मुंबई के मशहूर ‘डब्बावालों’ ने भी कर्नाटक के सीमांत इलाके की इस घटना की निंदा की है।

शुक्रवार को, बेलगांव जिला प्रशासन ने बेलगांव के निकट यल्लूर गांव का एक बोर्ड ढहा दिया था जिसमें गांव के महाराष्ट्र में होने का दावा किया गया था।

कोल्हापुर में इस कार्रवाई का विरोध किया गया और इस दौरान कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों पर पथराव किए गए। इस घटना के बाद कर्नाटक में मराठी भाषी लोगों पर हमले हुए। (भाषा)

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