वैसे तो शादी लड़की और लड़के दोनों के जीवन की एक नई शुरुआत होती है और दोनों के ही जीवन को बहुत हद तक बदल देती है। आमतौर पर लड़कियों को तो लोग शादी के बाद होने वाले कुछ बदलाव पर पहले ही सुझाव देने लगते हैं लेकिन लड़कों को शायद ही उनके माता-पिता या रिश्तेदार इस तरह का कोई सुझाव देते हैं, क्योंकि होता यह है कि लड़के के अभिभावक व रिश्तेदारों की गृहस्थी में भी ज्यादातर समझौते उनकी पत्नी ने ही किए हुए होते हैं और उस जमाने में उन्हें भी इस प्रकार 'लड़कों को शादी के बाद बदलाव' जैसा किसी संबंधी ने कुछ बताया नहीं।
लेकिन आज के समय में जहां इतने तलाक के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में लड़कियों के अलावा लड़कों को यह बताया जाना बेहद जरूरी है कि शादी के बाद उन्हें क्या-क्या आदतें बदल लेनी चाहिए। आधिकारिक तौर पर भी उन्हें ये बताना चाहिए कि घर व पत्नी की क्या जिम्मेदारियां उन्हें शादी के बाद निभानी होंगी। अक्सर आपने माता-पिता को बेटियों को तो यह कहते हुए सुना होगा कि अपनी पुराने दोस्तों से दूरी बना लो, क्योंकि शादी के बाद हो सकता है कि तुम्हारे पति को यह पसंद न आए, लेकिन क्या माता-पिता यही समझाइश कभी लड़कों को देते हैं?
आइए आपको हम बताते हैं वे आदतें, जो शादी के बाद लड़कों को भी बदल लेना चाहिए जिससे कि उनका अपनी पत्नी से रिश्ता स्वस्थ बना रह सके।
1. पुरानी दोस्त (लड़की दोस्त) से व्यवहार बदलें :
आज के समय में जहां स्कूल, कॉलेज व ऑफिस हर जगह आपके दोस्त बनते रहते हैं तथा लड़का-लड़की के भेदभाव के बिना जिससे भी विचार मिले, दोस्ती हो जाती है, ऐसे में शादी के बाद भी कई बार कुछ अच्छे व गहरे दोस्त आपके जीवन में बने रहते हैं। शादी के बाद आप मानकर चलते हैं कि आपकी पत्नी भी तो आपके ही जमाने की है, तो उसे आपकी लड़की दोस्तों से कोई समस्या नहीं होगी। कुछ हद तक संभव भी है। लेकिन यह आपकी पत्नी के विचार और साथ ही आपका अपनी लड़की दोस्तों से कैसा व्यवहार है, उस पर भी निर्भर करता है।
हो सकता है कि पहले आप अपनी लड़की दोस्तों से बहुत हंस-हंसकर, बातों-बातों में उन्हें छूकर, किसी खुशी या दु:ख की बातों में गले लगाकर बातें करते रहे हों, लेकिन अब शादी के बाद आपको अपनी लड़की दोस्तों से बातचीत करते हुए अपना व्यवहार थोड़ा मर्यादित रखने की जरूरत है। इस बारे में आप आपकी पत्नी की राय जरूर लें और शक की गुंजाइश न रहने दें। क्या वे किसी पुराने लड़के दोस्त या सहकर्मी से इस तरह बातें करेंगी, तो आपको पसंद आएगा?
2. 'मेरे घर में मुझे एडजस्ट करने की जरूरत नहीं है' की मानसिकता बदलें :
'घर मेरे माता-पिता का और मेरा है और हम तो सालों से ऐसे ही रहते आए हैं, तो हम हमारे घर में किसी और के लिए क्यों एडजस्ट करें? जो नया सदस्य है, वही सारे एडजस्टमेंट करे' की मानसिकता बदलें। 'हमारे घर के जो नियम हैं, हम तो उसी के हिसाब से चलते आ रहे हैं और अब पत्नी को भी इन्हीं के हिसाब से चलना होगा' की मानसिकता बदलने की बहुत जरूरत है। ऐसे में आपकी पत्नी जो कुछ भी आपके और घर के लिए करना चाहती होगी, उसे वो सब करने का स्पेस ही नहीं मिलेगा। उसे उसकी नई सोच के हिसाब से घर में बदलाव करने दें व उसका सहयोग करें। याद रखें, चाहे घर हो या बाहर- कोई एक-सा नियम ताउम्र सही नहीं हो सकता। बदलाव ही जीवन का नियम है और अब आप दोनों को मिलकर अपने तरीके से घर चलाने की बारी है। आपकी शादी के अरमानों में एक यह भी तो था, नहीं क्या?
लड़कों के लिए शादी के बाद भी कई मुख्य चीजें नहीं बदलती हैं, जैसे उनका घर, रहन-सहन, खाना-पीना, नौकरी या व्यापार, शहर आदि। आप भावनात्मक रूप से मजबूत रहते हैं, क्योंकि आपके पास कई स्थिर चीजें हैं, जो शादी के बाद भी उसी रूप में आपके पास हैं, जैसे आपका खुद का प्यार करने वाला परिवार जो अपनी छोटी से छोटी आदत या परेशानियों से वाकिफ है और तुरंत आपका ध्यान रखने के लिए मौजूद है। आपके पास आपकी वो जॉब है, जो आप सालों से कर रहे हैं और अब तक वहां का माहौल आपके लिए सहज हो चुका है। परिवार व जॉब के बाद आप जिन दोस्तों व रिश्तेदारों से पहले दिल बहलाने के लिए मिल लिया करते थे, जो कभी भी आपके घर आ धमकते थे, वो अब भी वैसे का वैसा ही है। इस प्रकार आप अपनी पत्नी के मुकाबले बहुत अधिक भावनात्मक मजबूत स्थिति में होते हैं।
ये जो भी चीजें आपके पास स्थिर बनी हुई हैं, शादी के बाद आपकी पत्नी यह सभी कुछ छोड़कर आपके साथ रहने आई है। ऐसे में उसे खुद को सारी नई चीजों व लोगों से एडजस्ट होने का वक्त दें। आते ही ये उम्मीदें न रखें कि वह आपकी व आपके परिवार कि सारी इच्छाएं पूरी करे व आप सभी का ध्यान रखे, बल्कि यहां शुरुआत में आप ही को उसका ध्यान रखना है, जब तक कि वह नए माहौल में सहज न हो जाए। यह आपकी जिम्मेदारी है। परिवार के दूसरे लोग आपकी पत्नी को उतने अच्छे से नहीं समझ पाएंगे जितना कि आप समझ पाएंगे। ऐसे में अपनी पत्नी का स्वभाव व अपने परिवार को समझाना और दोनों का तालमेल सही बैठाना आपकी जिम्मेदारी है।
शादी के बाद अक्सर लड़के और उसके परिवार की यह सोच रहती है कि अब लड़की के जीवन में उनकी सेवा और वे ही प्राथमिकता होने चाहिए। यहां तक कि उससे ऐसी अपेक्षा रखी जाती है कि एक आदर्श बहू वह तभी साबित होगी, जब वह उसके स्वयं के परिवार से भी ऊपर उन्हें ही रखे और वक्त-बेवक्त उसे इस चीज पर परखा जाता है कि वह आपकी किसकी परवाह ज्यादा करती है?
पूरे परिवार की सोच तो नहीं बदली जा सकती, लेकिन यहां पतियों को अपनी सोच में बदलाव जरूर कर लेना चाहिए। उन्हें हर वक्त 'मैं और मेरा परिवार' के नारे अपनी पत्नी के सामने नहीं लगाते रहना चाहिए। आखिर वह भी अपने परिवार से उतना ही प्यार करती है, जैसे आप अपने परिवार से करते हैं और वह आपके लिए अपना बहुत प्यार करने वाला परिवार छोड़कर आई है। ऐसे में उसे यह लगेगा कि आप हमेशा अपने परिवार की ही बात करते हैं और उसकी और उससे जुड़ी चीजों की परवाह नहीं करते हैं।
5. पत्नी के परिवार को भी अपने परिवार की तरह अपनाएं :
जिस तरह आपकी पत्नी आपके परिवार को अपनाने की कोशिश करती है, आपके परिवार में मेलजोल बढ़ाती है केवल आपकी खुशी के लिए, तो आपको भी अपनी पत्नी के परिवार और रिश्तेदारों से निभाना चाहिए, न कि यह सोचना चाहिए कि आप उनसे मेलजोल रखेंगे, ज्यादा मिलेंगे तो दामाद का पद होने से आपकी इज्जत कम हो जाएगी। कई बार आपके घर के बड़े आपको ऐसा सुझाव दे सकते हैं कि लड़कों को अपने ससुराल बिन बुलाए व ज्यादा नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने भी अपने समय में ऐसा ही किया था। लेकिन उन्होंने चाहे जो किया हो, पर अब जब समय काफी बदल चुका है, तो आप उन पुराने विचारों को लेकर ज्यादा लंबा नहीं चल पाएंगे।
आपका परिवार आपको अपनी पत्नी के परिवार से घुलने-मिलने क्यों नहीं देना चाहता? इसकी सही वजह आपको समझनी होगी कि कहीं इसके पीछे उनकी असुरक्षा की भावना तो नहीं? जिस वजह से उन्हें आपका अपनी पत्नी के परिवार से घुलना-मिलना पसंद नहीं? खैर, फिलहाल आपको इस पुरानी सोच से बाहर आने की जरूरत है और आपको भी अपने रिश्ते में बराबरी से वह सब कुछ करना जरूरी है, जो आपकी पत्नी आपके और आपके परिवार के लिए करती है।
6. आप पहले जिन लोगों के साथ ज्यादा समय बिताते थे अब उन सभी के समय में कटौती होगी, इसी स्वीकारें
अक्सर शादी के बाद लड़कों को भी उन्हीं का परिवार परखते रहता है कि बीवी के आने से बेटा बदल न जाए। आपको और आपके परिवार को शादी से पहले ही कुछ वास्तविक बदलाव के लिए तैयार रहना बहुत जरूरी है, वर्ना आपका अपनी पत्नी के साथ रिश्ता खराब होते व टूटते देर नहीं लगेगी।
आपको शादी की मूल वजह हमेशा याद रखनी चाहिए कि आप जीवन में एक जीवनसाथी चाहते हैं, जो हर परिस्थिति में आपके साथ रहे। आप अपना जीवन, अपने साथी के साथ बिताना चाहते हैं इसलिए ही आप आपने जीवन में किसी को लेकर आ रहे हैं। शादी के निर्णय पर पहुंचने से पहले आप अपने अनुभव से देख चुके हैं कि परिवार ही एकमात्र ऐसा है, जो हमेशा साथ खड़ा होगा और इसलिए अब आप अपना परिवार बनाने जा रहे हैं।
इतने महत्वपूर्ण उद्देश्य से जब कोई व्यक्ति जीवन में आएगा तो आपकी नौकरी के बाद का ज्यादातर समय आपका अपने साथी के साथ ही बीतेगा। कई परिवारों में ऐसी भावनाएं आने लगती हैं कि आप उनका समय काटकर अपनी पत्नी को दे रहे हैं। इस पर लड़कों को ताने भी सुनने को मिल जाते हैं कि 'बीवी के आते ही बेटा बदल गया' लेकिन परिवार का ऐसा सोचना बिलकुल ही अर्थहीन है।
शादी के बाद आपके पास जो समय है, वह उतना ही है, जो पहले था। अब आपके परिवार के सदस्य व दोस्तों के समय में कटौती होगी, यह निश्चित है। आप दोनों के लिए एक-दूसरे के साथ अपना समय निवेश करना आपके सुखद भविष्य के लिए जरूरी है जिसमें शुरुआती कुछ सालों में काफी सारा समय आप दोनों को एकांत भी चाहिए होगा, क्योंकि इस समय आप एक-दूसरे को बिलकुल भी नहीं जानते हैं। इस बदलाव के लिए लड़कों को तैयार रहना जरूरी है व अपने परिवार को भी आप समझा करें, तो बेहतर है।
कई परिवार हैं, जो पति-पत्नी के व्यक्तिगत समय को समझते हैं लेकिन आज भी कई परिवार इसे नहीं समझ पाते जिस वजह से पति-पत्नी आपस में घुल-मिल नहीं पाते। शुरुआत के साल जो किसी भी रिश्ते की नींव होते हैं, उसमें ही वे कम समय साथ बिताने के चलते एक-दूसरे को समझ नहीं पाते जिस वजह से एक-दूसरे के लिए गलत धारणाएं बन जाती हैं और कभी न मिटने वाली दूरियों की दीवार उनके बीच खड़ी हो जाती है।
शादि के बाद आपके पास जो समय है वह उतना ही हैं जो पहले था अब आपके परिवार के सदस्य व दोस्तों के समय में कटोती होगी यह निश्चित है। आप दोनों को एक दूसरे के साथ अपना समय निवेश करना आपके सुखद भविष्य के लिए जरूरी है। जिसमें शुरूवाती कुछ सालों में काफी सारा समय आप दोनों को एकांत भी चाहिए होगा, क्योंकि इस समय आप एक-दूसरे को बिलबुल भी नहीं जानते है। इस बदलाव के लिए लड़कों को तैयार रहना जरूरी है व अपने परिवार को भी समझा सके तो बेहतर है।
कई परिवार है जो पति-पत्नी के व्यक्तिगत समय को समझते हैं, लेकिन आज भी कई परिवार इसे नहीं समझ पाते। जिस वजह से पति-पत्नी आपस में घूल-मिल नहीं पाते, शुरूवात के साल जो किसी भी रिश्ते की नींव होते हैं, उसमें ही वे कम समय साथ बिताने के चलते एक-दूसरे को समझ नहीं पाते। जिस वजह से एक दूसरे के लिए गलत धारणाएं बन जाती है और कभी न मिटने वाली दूरियों की दिवार उनके बीच खड़ी हो जाती है।