नजरबंदी एवं दृष्टिदोष हेतु

हेतु- नजरबंदी एवं दृष्टिदोष दूर होते हैं।

यः संस्तुतः सकल-वाङ्मय-तत्वबोधादुद्भूतबुद्धिपटुभिः सुरलोकनाथैः।
स्तोत्रैर्जगत्त्रितयचित्तहरैरुदारैः स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम्‌॥ (2)

समग्र शास्त्रावबोध से युक्त सूक्ष्म प्रज्ञा के धनी देवेन्द्रों ने भी जिनकी स्तवना की है, उन प्रथम तीर्थंकर की स्तवना मैं भी त्रैलोक्य के चित्त को आह्लादित करे, वैसे स्तोत्रगान द्वारा करूँगा।

ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो ओहिजिणाणं।

मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूँ नमः।

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