सिंह, बाघ वगैरह हिंसक पशुओं का भय टालने हेतु

हेतु- सिंह, बाघ वगैरह हिंसक पशुओं का भय टलता है।

भिन्नेभ कुम्भ गलदुज्ज्वल शोणिताक्त मुक्ता-फल-प्रकरभूषित-भूमि भागः ।
बद्धक्रमः क्रम गतं हरिणाधिपोऽपि नाक्रामति क्रम-युगाचल संश्रितं ते ॥ (39)

जिसने हाथियों के गंडस्थल को चीरकर उनके खून से सनी हुई मुक्तामणियों को बिखेर कर धरती को भर दिया है, वैसा तीक्ष्ण नाखूनवाले पंजों को उछालता हुआ बब्बर शेर भी तेरे चरणों के दास के समक्ष दुम दबाकर बैठ जाता है।

ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो वयणबलीणं ।

मंत्र- ॐ नमो एषु वृत्तेषु वर्द्धमान तव भयहरं वृत्तिवर्णा येषु मंत्राः पुनः स्मर्तव्या अत्तो ना परमन्त्र निवेदनाय नमः स्वाहा ।

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