खुदा को मानना, उसको सजदा करना।
तहारत यानी पवित्रता- इसी पर सभी उसूलों का आधार है। इसमें शरीर की पवित्रता, कपड़ों की पवित्रता आदि से लेकर मन की पवित्रता तक शामिल है।
नमाज- फजर, जोहर, असर, मगरिब और ईशा के वक्त पर पांच बार नमाज यानी खुदा की इबादत करना। अपनी इंद्रियों को काबू में
रखना। गलत काम से दूर रहना।
हज यानी वह तीर्थयात्रा- जिसमें दुनिया के सभी मुसलमान बिना भेदभाव के भाग लेते हैं।