ईश्वर का वरदान है सौंदर्य

ईश्वर की तीन विभूतियां हैं- शील, शक्ति और सौंदर्य। इनमें सौंदर्य का अपना अलग और व्यापक महत्व है। ईश्वर भी सौंदर्य है और इसीलिए उसकी सृष्टि के कण-कण में सौंदर्य भरा हुआ है। 
 
महर्षि अरविंद ने ठीक ही कहा कि सौंदर्य है अपने आपको अभिव्यक्त करते हुए भगवान। प्रकृति के आंगन में तो सौंदर्य का साम्राज्य स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। सौंदर्य का जादू भला किस पर नहीं चलता। 
 
ग्रीष्म ऋतु में अपने घर की छत पर खड़े होकर रात में पूर्णिमा की खिली चांदनी को देखें या वसंत ऋतु में बगीचे की झूमती डालियों पर मुस्कुराते हुए फूलों को देखें या नदियों व पहाड़ों से गिरते झरनों के गीत सुनें, आपको जिस आनंद का अनुभव होगा, वह सौंदर्य का ही आनंद है। 

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