Godavari River : गोदावरी नदी भारत के महाष्ट्र राज्य की मुख्य नदी है। हिंदू धर्म की पवित्र नदियों में से एक यह नदी नासिक और त्रयंबकेश्वर में प्रमुख तीर्थ स्थल के पास बहती है। गोदावरी नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबक के पास से निकलती है। आओ जानते हैं इसके संबंध में 10 रोचक तथ्य।
गोदावरी भारत की सबसे लम्बी और पवित्र नदियों में से एक है।
इसका दक्षिणी गंगा, गौतमी, वृद्धा गंगा या प्राचीन गंगा नाम भी है।
तेलुगु के भाषा के शब्द 'गोद' से लिया गया गोदावरी जिसका अर्थ मर्यादा है।
गोदावरी नदी की लम्बाई लगभग 1450 किलोमीटर की है।
त्र्यंबकेश्वर से निकलकर बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है।
गोदावरी के तट पर बसा हुआ नाशिक और त्र्यंबकेशवर महत्वपूर्ण तीर्थ है।
गोदावरी नदी महाराष्ट्र से होते हुए तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश और ओडिशा में बहती है।
गोदावरी नदी कृष्णा नदी के साथ मिलकर आंध्रप्रदेश में कृष्णा-गोदावरी डेल्टा का निर्माण करती है जोकि भारत का दूसरा सबसे बड़ा डेल्टा है।
कृष्णा-गोदावरी बेसिन कच्चे तेल और गैस के खजाने से भरपूर है।
कृष्णा-गोदावरी बेसिन कछुए की लुप्तप्राय प्रजाति ओलिव रिडले के रहने के स्थानों में से एक है।
1. गोदावर नदी की उत्पत्ति : गोदावरी दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है। इसकी उत्पत्ति पश्चिमघाट की पर्वत श्रेणी के अंतर्गत त्रियम्बक पर्वत से हुई है, जो महाराष्ट्र में स्थित है। यहीं त्र्यम्बकेश्वर तीर्थ है जो नासिक जिले में है।
2. नदी की लंबाई और बहाव: इस नदी की कुल लंबाई करीब 1,465 किलोमीटर है। इसमें लगभग 121,000 वर्ग मील (313,000 वर्ग किमी) का जल निकासी बेसिन है।
3. विलय : यह नदी पूर्व दिशा की ओर बहती हुई आंध्र प्रदेश के समीप बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। यह नदी महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश से बहते हुए राजहमुन्द्री शहर के समीप बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।
4. नामकरण : गंगा की तरह ही इसे भी काफी पवित्र माना गया है। लोग इसे दक्षिण की गंगा भी कहते हैं। गौतम से संबंध जुड जाने के कारण इसे गौतमी भी कहा जाने लगा। महाभारत के वनपर्व में इसे पुनीत नदी की संज्ञा दी गई है। कुछ विद्वानों के अनुसार, नदी का नाम तेलुगु भाषा के शब्द गोद से हुआ है, जिसका अर्थ मर्यादा होता है। महर्षि गौतम ने घोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर रुद्र देव ने यहां एक बाल के प्रभाव से गंगा को प्रवाहित किया। कहते हैं कि से गंगाजल के स्पर्श से एक मृत गाय पुनर्जीवित हो उठी थी। इसी कारण इसका नाम गोदावरी पड़ा।
5. अमृत की बूंदे गिरी थी इस नदी में : हरिद्वार और प्रयाग में गंगा नदी, उज्जैन में क्षिप्रा नदी और नासिक में गोदावरी नदी में समुद्र मंथन से निकले अमृत की बूंदे यहां गिरी थी इसलिए यहां कुंभ आ आयोजन होता है। नासिक के पास बहने वाली गोदावरी नदी में अमृत बूंदे गिरी थी इसलिए नासिक को कुंभ नगरी कहा जाता है।
6. कुंभ मेला : गोदावरी नदी धार्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र मानी जाती है। प्रति 12वें वर्ष पुष्करम् का स्नान करने के लिए राजमुंद्री के पास बहुत बड़ा मेला लगता है जिसे कुंभ का मेला कहा जाता है।
7. गोदावरी की सहायक नदियां : गोदावरी की उपनदियों में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती और मंजिरा। इस नदी की प्रमुख शखाएं हैं:- गौतमी, वसिष्ठा, कौशिकी, आत्रेयी, वृद्धगौतमी, तुल्या और भारद्वाजी।
8. महापुण्य देने वाली नदी : गोदावरी में स्नान से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे महापुण्य देने वाली नदी कहा गया है।
इन्हें महापुण्यप्राप्ति कारक बताया गया है-
सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियताशन:।
महापुण्यमप्राप्नोति देवलोके च गच्छति॥
9. ज्योतिर्लिंग : त्र्यम्बकेश्वर में गोदावरी के तट पर ही 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। गोदावरी के तट पर भगवान राम ने अपना वनवास काटा था।
10. पुराणों में गोदावरी : गोदावरी नदी का लगभग सभी वेद और पुराणों में, रामायण और महाभारत में उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार गोदावरी की 200 योजन की लम्बाई कही गयी है और कहा गया है कि इस पर साढ़े तीन करोड़ तीर्थ क्षेत्र हैं।