कल्कि अवतार- Kalki Avatar:- हिंदू पुराणों के अनुसार कलयुग के अंत में संभल नाम गांव में श्रीहरि विष्णु का कल्कि अवतार होगा। 19 फरवारी 2024 सोमवार के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के ग्राम सम्भल में भगवान कल्कि के भव्य मंदिर का शिलान्यास किया है। यह मंदिर संभल के एंकरा कंबोह इलाके में बनने जा रहा है। आचार्य प्रमोद कृष्णम श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।
- पुराणों के अनुसार संभल नामक स्थान पर विष्णुयक्ष नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे।
- संभल नामक गांव भारत में कई प्रदेशों में है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, ओड़िसा और छत्तीसगढ़।- कई लोग इसे उत्तर प्रदेश का गांव मानते हैं जबकि ओड़िसा में भी एक संभल नामक प्रसिद्ध स्थान है।
- स्कंद पुराण के दशम अध्याय में स्पष्ट वर्णित है कि कलियुग में भगवान श्रीविष्णु का अवतार श्रीकल्कि के रुप में सम्भल ग्राम में होगा।
कब होंगे कल्कि अवतार?
- ऐसी मान्यता है कि कलयुग के अंत में कल्कि अवतार होंगे जो सफेद घोड़े पर बैठकर सभी पापियों का संहार करेंगे।
- कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। कल्कि नाम से एक पुराण भी है।
- पुराणों में कल्कि अवतार के कलियुग के अंतिम चरण में आने की भविष्यवाणी की गई है।
- उत्तर प्रदेश में सक्रिय कल्कि वाटिका नामक संगठन का दावा है कि कल्कि अवतार के प्रकट होने का समय नजदीक आ गया है। इन लोगों का मानना है कि देवी जगत में कल्कि अवतार हो गया है। स्वप्न, जागृत और वाणी अनुभवों द्वारा वे भक्तों को संदेश दे रहे हैं। उनकी महाशक्तियां भक्तों की रक्षा के लिए इस जगत में चारों ओर फैल चुकी हैं, अब बस उनका केवल प्राकट्य शेष है।
कल्कि भगवान देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा।
'अग्नि पुराण' के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं और वे भविष्य में होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा तथा म्लेच्छों को पराजित करके सनातन राज्य स्थापित करेगा।
ग्राम संभल में कल्कि मंदिर:-
उत्तर प्रदेश का संभाल ग्राम : कल्कि अवतार के नाम पर वर्तमान में उत्तर प्रदेश के ग्राम संभल में एक मंदिर बना हुआ है। इसी मंदिर को अब भव्य स्वरूप दिए जा रहा है। उनके भजन, आरती और चालीसा भी बन चुके हैं। उनके नाम पर फंड भी एकत्रित किया जाता है।
राजस्थान का कल्कि मंदिर : राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात की त्रिवेणी संगम स्थल राजस्थान के वांगड़ अंचल (दक्षिण में जनजाति बहुल बांसवाड़ा एवं डूंगरपुर जिले में) के डूंगरपुर जिले के साबला गांव में हरि मंदिर है जहां कल्कि अवतार की पूजा हो रही है। हरि मंदिर के गर्भगृह में श्याम रंग की अश्वारूढ़ निष्कलंक मूर्ति है, जो लाखों भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है। भगवान के भावी अवतार निष्कलंक भगवान की यह अद्भुत मूर्ति घोड़े पर सवार है। इस घोड़े के तीन पैर भूमि पर टिके हुए हैं जबकि एक पैर सतह से थोड़ा ऊंचा है। मान्यता है कि यह पैर धीरे-धीरे भूमि की तरफ झुकने लगा है। जब यह पैर पूरी तरह जमीन पर टिक जाएगा तब दुनिया में परिवर्तन का दौर आरंभ हो जाएगा। संत मावजी रचित ग्रंथों एवं वाणी में इसे स्पष्ट किया गया है।
ओड़िसा का संभलपुर ग्राम : एक संभलपुर उड़ीसा में भी है, यहां भी मां संभलेश्वरी देवी का मंदिर है। यहां पर श्रीहरि विष्णु के अवतार लेने की प्रार्थना की जाती है। यहां पर भी कल्कि धाम बना हुआ है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।