2. बंधु बांधव : यदि आपके घर के आसपास आपका कोई बंधु-बांधव अर्थात भाई, रिश्तेदार, मित्र या समाजजन नहीं रहते हैं तो उस स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए। क्योंकि जरूत पड़ने पर कोई आपके साथ खड़ा नहीं होगा और उन्हीं से जीवन में खुशियां भी रहती है भले भी उनसे झगड़े होते रहें।
5. गुण : जिस जगह पर स्कूली शिक्षा के अलावा सीखने लायक कुछ न हो, कोई संस्थान न हो तो उस स्थान को भी छोड़ देना चाहिए क्योंकि मानसिक और शारीरिक विकास के साथ व्यक्तित्व और गुणों का विकास भी जरूरी है। यह सभी कलाओं को सीखने से प्राप्त होता है।
अन्य : उपरोक्त के अलावा चाणक्य कहते हैं कि जहां पर नदी तालाब न हो, डॉक्टर न हो, अस्पताल और स्कूल न हो, विद्वान लोग न रहते हों, धनवान लोग न हो और राजा या प्रशासक न हो वहां भी रहना व्यर्थ है।