भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों के लोगों के बीच यह धारणा प्रचलित है कि सुनसान जगह, नदी, नाले या जंगल में पेशाब नहीं करना चाहिए अन्यथा कोई भूत आपके पीछे लग सकता है। भारत के गांव और खेड़ों में यह देखने और सुनने को मिलता है कि भूतबाधा से ग्रस्त फलां व्यक्ति ने एक पेड़ ने नीचे या घूड़े पर पेशाब कर दिया था उसके बाद से ही यह भूत बाधा से ग्रस्त है।
कई मंदिर, दरगाह और साधु संतों के यहां माथा टेकने के बाद भी बहुतों की हालात ठीक नहीं होती। हालांकि आज के विज्ञान के युग में यह स्वीकार करना मुश्किल है कि किसी को भूत लग सकता है। मरे हुए लोग कभी किसी को परेशान नहीं कर सकते।
ऐसे में कुछ लोग पहले थूकते हैं फिर पेशाब करते हैं और कुछ लोग कोई मंत्र वगैरह पढ़कर ऐसा करते हैं। जैन धर्म के अनुसार पेशाब करने के बाद कहा जाता हैं कि भगवान शकेंद्रनाथ की आज्ञा से ऐसा किया गया। कुछ लोग यह कहने के बाद पेशाब करते हैं- उत्तम धरती मध्यम काया, उठो देव मैं मूतन आया। यह धाणणा दृढ़ है कि किसी भी प्रकार की भूतबाधा हो तो हनुमानजी की शरण में जाने से यह समस्या समाप्त हो जाती है।
अन्य मान्यता :
* नदी, पूल या जंगल की पगडंडी पर पेशाब नहीं करते।
* मान्यता अनुसार एकांत में पवित्रता का ध्यान रखते हैं और पेशाब करने के बाद धेला अवश्य लेते हैं। उचित जगह देखकर ही पेशाब करते हैं।