6 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी? जानें मुहूर्त, विधि और चंद्रोदय का समय
Sawan Gajanan Sankashti Chaturthi : वर्ष 2023 में गुरुवार, 6 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है। श्री गणेश को गजानन, विनायक, लम्बोदर, गौरीपुत्र गणेश, गणपति आदि कई नामों से जाना जाता है। इस बार गजानन संकष्टी चतुर्थी प्रीति योग में मनाई जा रही है। बता दें कि श्रावण मास की चतुर्थी तिथि से साल भर की चतुर्थी के संकल्प लिए जाते हैं। आइए जानते हैं पूजन के शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय क्या है-
6 जुलाई 2023, बृहस्पतिवार गजानन संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त : Ganesh Puja Muhurat 2023
श्रावण चतुर्थी का प्रारंभ- 6 जुलाई, गुरुवार को 06.30 ए एम से।
श्रावण चतुर्थी का समापन- 7 जुलाई, शुक्रवार को 03.12 ए एम पर।
गजानन संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय- 10.12 पी एम पर।
6 जुलाई, 2023, बृहस्पतिवार : दिन का चौघड़िया
शुभ- 05.29 ए एम से 07.13 ए एम
चर- 10.41 ए एम से 12.26 पी एम
लाभ- 12.26 पी एम से 02.10 पी एम
अमृत- 02.10 पी एम से 03.54 पी एम
शुभ- 05.39 पी एम से 07.23 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
अमृत- 07.23 पी एम से 08.39 पी एम
चर- 08.39 पी एम से 09.54 पी एम
लाभ- 12.26 ए एम से 07 जुलाई 01.42 ए एम,
शुभ- 02.58 ए एम से 07 जुलाई 04.13 ए एम,
अमृत- 04.13 ए एम से 07 जुलाई 05.29 ए एम,
खास मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04.08 ए एम से 04.48 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04.28 ए एम से 05.29 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.58 ए एम से 12.54 पी एम
विजय मुहूर्त- 02.45 पी एम से 03.40 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 07.22 पी एम से 07.42 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 07.23 पी एम से 08.24 पी एम
अमृत काल- 03.06 पी एम से 04.32 पी एम
निशिथ मुहूर्त- 07 जुलाई 12.06 ए एम से 12.46 ए एम तक।
श्रावण चतुर्थी व्रत पूजा विधि : Ganesh Puja Vidhi 2023
- श्रावण चतुर्थी के दिन दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इस दिन सूर्य देव और श्री गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- लाल वस्त्र पहने हुए गणेश चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
- 21 दूर्वा ले लें और 'गणाधिपाय नमः, उमापुत्राय नमः, अघनाशनाय नमः, एकदन्ताय नमः, इभवाक्त्राय नमः, मूषकवाहनाय नमः, विनायकाय नमः, ईशपुत्राय नमः, सर्वसिद्धिप्रदायकाय नमः और कुमारगुरवे नमः। यह मंत्र बोलते हुए एकसाथ 2-2 दूर्वा अर्पित करें।
- फिर बची हुई 1 दूर्वा या दूब भी इन्हीं 10 नाम को बोलते हुए अर्पित कर दें।
- इसके बाद फूल आदि से पूजा करके यह बोलें- संसारपीडाव्यथितं हि मां सदा संकष्टभूतं सुमुख प्रसीद। त्वं त्रहि मां मोचय कष्टसंघान्नमो नमो विघ्ननाशनाय।
- घी, गेहूं और गुड़ से बने 21 मोदकों में से एक गणेश को अर्पण करें।
- अन्य 10 मोदक दक्षिणा सहित ब्राह्मणों को दें और शेष 10 मोदक अपने लिए रख लें।
रात को तांबे के लोटे में लाल चंदन, कुश, दूर्वा, फूल, अक्षत, दही और जल मिलाकर नारद पुराण के इस मंत्र का पाठ करते हुए चंद्रमा को 7 बार अर्घ्य दें-
'गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्य मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक।।'
अर्थात- गगनरूपी समुद्र के माणिक्य, दक्षकन्या रोहिणी के प्रियतम और गणेश के प्रतिरूप चन्द्रमा! आप मेरा दिया हुआ अर्घ्य स्वीकार कीजिए।
- फिर गणेश को इस मंत्र से 3 बार अर्घ्य दें-
गणेशाय नमस्तुभ्यं सर्वसिद्धिप्रदायक।
संकष्टहर मे देव गृहाणार्घ्य नमोस्तु ते।।
कृष्णपक्षे चतुर्थ्यां तु सम्पूजित विधूदये।
क्षिप्रं प्रसीद देवेश गृहाणार्घ्यं नमोस्तुते।।
अर्थात- समस्त सिद्धियों के दाता गणेश! आपको नमस्कार है। संकटों को हरने वाले देव! आप अर्घ्य ग्रहण कीजिए, आपको नमस्कार है। कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चन्द्रोदय होने पर पूजित देवेश! आप अर्घ्य ग्रहण कीजिए, आपको नमस्कार है।
- चतुर्थी माता को 3 बार इस मंत्र से अर्घ्य दें-
तिथिनामुत्तमे देवि गणेशप्रियवल्लभे।
सर्वसंकटनाशाय गृहाणार्घ्य नमोस्तुते।।
चतुर्थ्यै नमः इदमअर्घ्यं समर्पयामि।
- अर्घ्य के बाद मीठा भोजन-लड्डू आदि खा सकते हैं।
- यह व्रत करने से विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह शीघ्र ही हो जाता है तथा सौभाग्य बढ़ता है।
- यह व्रत 1 या 3 वर्ष तक करना चाहिए।
- इस व्रत से धन-संपत्ति, बुद्धि, सिद्धि, मंगल और घर में शुभता का वास होता है।
- इस दिन श्री गणेश जी की आरती, चालीसा और स्तोत्र आदि का पाठ करें।
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