Age difference between boy and girl for marriage: वर्तमान में बदलते दौर के चलते अब शादियां ऐसी होने लगी है, जिसमें उम्र के अंतर को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। कहीं, पति उम्र में काफी बड़ा है, तो कहीं पत्नी। विवाह के समय लड़के और लड़की उम्र में कितना अंतर होना चाहिए या कि पति पत्नी के बीच कितना होना चाहिए उम्र का फासला? इसको लेकर धर्म, समाज, मनोविज्ञान और विज्ञान की अलग अलग राय हो सकती है।
क्या कहते हैं शोध : अटलांटा की यूनिवर्सिटी में हुई एक शोध के हिसाब से पति-पत्नी के बीच 5 साल का अंतर सही माना गया है। शोध के अनुसार ऐसा माना गया है कि जिन पति-पत्नी के बीच 5 साल का अंतर होता है, उनमें डिवोर्स की संभावना 18 प्रतिशत, यदि अंतर 10 साल है, तो 39% है और यदि उम्र में 20 साल का अंतर है तो डिवोर्स की संभावना 95 प्रतिशत होती है। ऐसा भी कहते हैं कि हम उम्र के जोड़ों में इगो बहुत ज्यादा क्लैश होता है जिसके चलते लड़ाई झगड़े, एक-दूसरे के प्रति सम्मान की कमी होती है क्योंकि दोनों का अनुबल और चीजों को देखने या समझने का नजरिया लगभग एक ही स्तर का होता है। हालांकि कई बार यह बात विवाह की सफलता का कारण भी बन जाती है।
बायोलॉजिकल फैक्ट : बायोलॉजिकल से देखा जाए तो लड़का और लड़की की मैच्योरिटी लेवल में अंतर होता है। जहां लड़कियां 12-14 साल की उम्र में ही अपने युवावस्था में पहुंच जाती हैं, वहीं लड़कों को अपने युवावस्था में पहुंचने में 14-17 साल की लग जाते हैं। इसलिए लड़का और लड़की की उम्र में इसको देखर अंतर होना जरूरी है।
कानून क्या कहता है?
भारतीय कानून के अनुसार हर धर्म में विवाह की उम्र अलग अलग बताई गई है। इस्लाम में 15 से 17 साल लड़की की उम्र मानी गई है। ईसाई धर्म में 18 और 21 का अंतर माना गया है। हिंदू धर्म में वैदिक नियम के अनुसार ब्रह्मचर्य आश्रम के नियम पूरे करने के बाद कोई लड़का या लड़की विवाह कर सकता है। गृहस्थ आश्रम में प्रवेश की अधिकतम उम्र 24 से 25 वर्ष मानी गई है और लड़की की उम्र 19 से 21 वर्ष। कानूनी रूप से भारत में लड़की की उम्र 18 और लड़के की उम्र 21 तय की गई है।