निश्चित ही व्यक्ति अपने-अपने विचारों के सर्कल में रहना चाहता है। आपकी धार्मिक सोच या वामपंथी सोच, कट्टरपंथी सोच या राष्ट्रवादी सोच से समाज में एक तरह का तनाव और संघर्ष ही जन्म लेता है। लेकिन यदि आप खुले दिमाग से सोचेंगे तो सभी तरह की विचारधाराओं का जन्म मनुष्य के दिमाग में ही होता है। कुछ भी आसमानी या रहस्यमयी नहीं है। ऐसा कुछ भी नहीं है, जो मनुष्यता से ऊपर हो।