शरद पूर्णिमा पर पढ़ें इन 5 देवताओं के सरल शुभ मंत्र

शरद पूर्णिमा पर पढ़ें चंद्र, शिव, लक्ष्मी़, कृष्ण और कुबेर के दिव्य मं‍त्र 

शरद पूर्णिमा मां लक्ष्मी, चंद्र देव, भगवान शिव, कुबेर और कृष्ण की आराधना करने का शुभ पर्व है। चंद्र की शुभ्र किरणें जब आंगन में बिखरेंगी तब बरसेगी खुशियां, और मिलेगा दिव्य लक्ष्मी के साथ सारे देवताओं का शुभ आशीर्वाद। 
 
 
शरद पूर्णिमा की रात में की गई चंद्र पूजन और आराधना से साल भर के लिए लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्ति होती है। इसके अलावा मनोबल में वृद्धि, स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी, अस्थमा से छुटकारा, ग्रह बाधा से निवारण, घर से दारिद्र्य भगाने जैसी समस्याओं का समाधान होता है। 
 
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शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी को मनाने का मंत्र

 
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
 
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शरद पूर्णिमा की रात कुबेर को मनाने का मंत्र 

 
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये 
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।। 
 
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शरद पूर्णिमा की रात इस मंत्र से पाएं सौभाग्य का आशीर्वाद 
 
"पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे।"
 
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शरद पूर्णिमा पर भगवान शिव की इस मंत्र से पूजा करें  
 
शिवलिंग का जल स्नान कराने के बाद पंचोपचार पूजा यानी सफेद चंदन, अक्षत, बिल्वपत्र, आंकडे के फूल व मिठाई का भोग लगाकर इस आसान शिव मंत्र का ध्यान कर जीवन में शुभ-लाभ की कामना करें - 

यह शिव मंत्र मृत्युभय, दरिद्रता व हानि से रक्षा करने वाला माना गया है- 
 
पंचवक्त्र: कराग्रै: स्वैर्दशभिश्चैव धारयन्।
अभयं प्रसादं शक्तिं शूलं खट्वाङ्गमीश्वर:।।
दक्षै: करैर्वामकैश्च भुजंग चाक्षसूत्रकम्।
डमरुकं नीलोत्पलं बीजपूरकमुक्तमम्।। 
 
यह चंद्र मंत्र देते हैं मन की शांति और दिमाग की शीतलता 

चंद्र मंत्र 
 
ॐ चं चंद्रमस्यै नम: 



दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।। 

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।

ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विद्महे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।



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कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात भगवान कृष्ण ने गोपियों संग रास रचाया था। इसमें हर गोपी के साथ एक कृष्ण नाच रहे थे। गोपियों को लगता रहा कि कान्हा बस उनके साथ ही थिरक रहे हैं। अत: इस रात गोपीकृष्ण मंत्र का पाठ करने का महत्व है। 



ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री'

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