श्रावण मास का पहला बुधवार : इन 10 उपायों से मिलेगा यश,सुख और धन बेशुमार

श्रावण मास के बुधवार को विशेष कर गणेशजी की विधिवत रूप से पूजा करने के 10 लाभ मिलते हैं। आओ जानते हैं कि वे कौन कौनसे फायदे हैं।
 
1.बुधवार की प्रकृति चर और सौम्य मानी गई है। ज्योतिष अनुसार यह भगवान गणेश और लाल किताब अनुसार दुर्गा माता का दिन है। कमजोर मस्तिष्क वालों को श्रावण मास बुधवार के दिन उपवास रख कर पूजा करना चाहिए, क्योंकि बुधवार का दिन बुद्धि प्राप्ति का दिन होता है।
 
2. पुराणों में गणेशजी की भक्ति शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करने वाली भी बताई गई हैं।
 
3. श्रावण मास बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और उसके जीवन से सभी तरह की रुकावटें दूर होती हैं।
 
4. श्रावण मास बुधवार के दिन घर में सफेद रंग के गणपति की स्थापना करने से समस्त प्रकार की तंत्र शक्ति का निवारण होता है।
 
5. इसी प्रकार यदि परिवार में गृह कलेश हो तो श्रावण मास बुधवार के दिन दूर्वा के गणेशजी की प्रतिकात्मक प्रतिमा बनाएं। इसे अपने घर के देवालय में स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी विधि-विधान से पूजा करें।
 
6. धन प्राप्ति के लिए श्रावण मास बुधवार के दिन श्री गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं। बाद में यह घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो जाता है।
 
7.गणेश या दुर्गा मंदिर के बाहर बैठी किसी कन्या को श्रावण मास बुधवार के दिन साबुत बादाम देना चाहिए। इससे घर की बीमारी दूर होती है।
 
8. श्रावण मास बुधवार को जमा किए गए धन में बरकत रहती है। श्रावण मास बुधवार को धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए।
 
9. बिगड़े काम बनाने के लिए श्रावण मास बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-
 
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
 
अर्थात भगवान गणेश आप सभी बुद्धियों को देने वाले, बुद्धि को जगाने वाले और देवताओं के भी ईश्वर हैं। आप ही सत्य और नित्य बोधस्वरूप हैं। आपको मैं सदा नमन करता हूं। कम से कम 21 बार इस मंत्र का जप जरुर होना चाहिए।
 
10. ग्रह दोष और शत्रुओं से बचाव के लिए-
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
 
ये भगवान गणेश जी के बारह नाम है। इन नामों का जप उचित स्थान पर बैठकर किया जाए तो यह उत्तम फलदायी है। जब पूरी पूजा विधि हो जाए तो कम से कम 11 बार इन नामों का जप करना शुभ होता है।

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