वल्लभाचार्य, विज्ञानभिक्षु तथा निम्बार्काचार्य मत के केशवभट्ट ने 'गीता-तत्व-प्रकाशिका' जैसे ग्रन्थ लिखे। आंजनेय ने हनुमद्भाष्य, कल्याणभट्ट ने रसिकमंजरी, जगद्धर ने भगवद्गीता-प्रदीप, जयराम ने गीतासारार्थ-संग्रह, मधुसूदन सरस्वती ने गूढार्थदीपिका, बलदेव विद्याभूषण ने गीताभूषण-भाष्य, सूर्य पंडित ने परमार्थप्रपा, नीलकण्ठ ने भाव-दीपिका, ब्रह्मानन्दगिरि, मथुरानाथ ने भगवद्गीता-प्रकाश, दत्तात्रेय ने प्रबोधचन्द्रिका, रामकृष्ण, मुकुन्ददास, रामनारायण, विश्वेश्वर, शंकरानन्द, शिवदयालु श्रीधर स्वामी ने सुबोधिनी, सदानन्द व्यास ने भावप्रकाश और राजानक एवं रामकण्ठ ने सर्वतोभद्र नामक ग्रन्थ लिखे।