Mandir Mystery : हजारों साल से बरकरार है इस मंदिर के द्रव्य का रहस्य

बुधवार, 29 दिसंबर 2021 (14:09 IST)
Candi Sukuh Temple
नमस्कार! 'वेबदुनिया' के मंदिर मिस्ट्री चैनल में आपका स्वागत है। इस चैनल में हम आपको मंदिरों के अनसुलझे रहस्यों के बारे में बताते रहे हैं। इस बार हम बताते हैं आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यहां पर अमृत मंथन से निकला अमृत कलश पाया गया है। इंडोनेशिया का यह मंदिर बहुत ही चमत्कारिक है। आओ जानते हैं इस मंदिर के चमत्कार के बारे में।

 
 
इंडोनेशिया के इस मंदिर में रखा है अमृत कलश
 
क्या है अमृत कलश : समुद्र मंथन और उससे निकले अमृत कलश की कथा आप सभी ने सुनी होगी। कहते हैं कि देवताओं में अमृत कलश का अमृत बांटने के बाद भी उसमें अमृत बच गया था। उस अमृत कलश को कहीं छुपा कर रख दिया गया था। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक ऐसा मंदिर है, जहां के बारे में कहा जाता है कि वहां आज भी वो अमृत कलश मौजूद है, जो समुद्र मंथन के दौरान निकला था। 
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कहां है यह मंदिर : यह मंदिर मुस्लिम देश इंडोनेशिया के मध्य और पूर्वी जावा प्रांतों की सीमा पर माउंट लावू के पश्चिमी ढलान पर स्थित है। इस मंदिर को स्थानीय भाषा में कंडी सुकुह कहते हैं। परंतु कई लोग इसे चंडीशुखु मंदिर भी कहते हैं।
 
कैसे मिला यह कलश : दरअसल, साल 2016 में इंडोनेशिया के पुरातत्व विभाग द्वारा इस मंदिर की मरम्मत का काम चल रहा था, तभी मंदिर की दीवार की नींव से एक तांबे का कलश मिला, जिसके ऊपर एक पारदर्शी शिवलिंग स्थापित था और कलश के भीतर कोई द्रव्य भरा हुआ था।
 
कितना पुराना है यह कलश : कुछ लोगों का मानना है कि जिसमें भरा द्रव्य हजारों सालों से मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि तांबे का वो कलश 1000 ईसा पूर्व का है।
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क्या है इस द्रव्य की खासियत : इस कलश में भरे द्रव्य की खासियत है कि हजारों साल बाद भी यह द्रव्य अभी तक सूखा नहीं है। शोध में पता चला कि तांबे के उस कलश को इस तरह से जोड़ा गया था कि उसे कोई खोल न सके।
 
क्या है कलश की खासियत : सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जिस दीवार की नींव से वो कलश मिला था, उसपर समुद्र-मंथन की नक्काशी थी और महाभारत के आदिपर्व का वर्णन किया गया था।
 
उल्लेखनीय है कि 15वीं सदी के पूर्व इंडोनेशिया एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था। जब यहां इस्लाका का वर्चस्व बढ़ा तो इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया। माना जाता है कि उसी समय तांबे के उस कलश को इस मंदिर में छुपा दिया गया होगा।
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