नृसिंह जयंती कब व कैसे प्रारंभ हुई, इस बारे में क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि इसका सूत्रपात लगभग 150 वर्ष पहले हुआ। मंदिर की स्थापना के बाद पूजा-अर्चना का दायित्व जिन पुजारियों को सौंपा गया, संभवतः वे नागौर (राजस्थान) के थे। चूंकि नागौर में भगवान नृसिंह जयंती व्यापक पैमाने पर मनाई जाती है अतः उसी से प्रेरणा लेकर पुजारियों ने भगवान नृसिंह के स्वर्ण परत वाले मुखौटे के साथ ही महाराजा हिरण्यकश्यप, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, हनुमान, गरूड़, सुग्रीव व होलिका के मुखौटे भी तैयार करवाए। ये सभी करीब 250 साल पुराने हैं।