Shrikhand Mahadev Yatra : यदि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर जाने में सक्षम नहीं हैं तो आपको श्रीखंड महादेव का दर्शन करना चाहिए। यहां की यात्रा प्रारंभ हो गई। यह स्थान अमरनाथ से ज्यादा दुर्गम और कैलाश मानसरोवर से कम दुर्गम है। यहां पहुंचना भी एक चैलेंज है। यदि आप हर तरह से
फीट हैं तो ही यहां की यात्रा का जोखिम उठाएं। आओ जानते हैं यहां के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
श्रीखंड महादेव की गुफा:-
कैलाश पर्व और अमरनाथ यात्रा क्रम में एक और स्थान है श्रीखंड महादेव का स्थान।
अमरनाथ यात्रा में करीब 14000 फीट की चढ़ाई है लेकिन श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊंचाई पर चढ़ना होता है।
यहां की यात्रा जुलाई में प्रारंभ होती है जिसे श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है।
स्थानीय मान्यता अनुसार यहीं पर भगवान विष्णु ने शिवजी से वरदान प्राप्त भस्मासुर को नृत्य के लिए राजी किया था।
नृत्य करते करते उसने अपना हाथ अपने ही सिर पर रख लिया और वह भस्म हो गया था।
मान्यता है कि इसी कारण आज भी यहां की मिट्टी और पानी दूर से ही लाल दिखाई देते हैं।
यह स्थान हिमाचल के शिमला के आनी उममंडल के निरमंड खंड में स्थित बर्फीली पहाड़ी श्रीखंड की चोटीपर स्थित है।
35 किलोमीटर की जोखिम भरी यात्रा के बाद ही यहां पहुंचते हैं।
इस प्रकार उत्तराखंड के रुद्र प्रयाग में कोटेश्वर गुफा है, जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। 15-16 फीट लंबी और दो-छह फीट ऊंची इस प्राकृतिक गुफा में कई शिवलिंग है।
2. किन्नर कैलाश (हिमाचल भारत) :
किन्नर कैलाश हिमाचल के किन्नौर जिले में स्थित है।
बर्फिले पहाड़ों की चोटियों पर स्थित यहां का प्राकृतिक शिवलिंग 79 फिट ऊंचा है।
किन्नर कैलाश का शिवलिंग त्रिशूल जैसा नजर आता है।
यह एक बड़ी सी चट्टान है उसी तरह की जिस तरह की शनि शिंगणापुर में शनि महाराज की मूर्ति है।
यहां के शिवलिंग की विशेषता यह है कि यह बार बार रंग बदलता है।
किन्नर कैलाश पार्वती कुंड के काफी नजदीक है। मान्यता अनुसार इस कुंड को देवी पार्वती ने खुदवाया था।