करतारपुर साहिब यात्रा : पंजाब बंद और कठिनाइयों भरी पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब की यात्रा के लिए वाहेगुरु तेरा शुकर

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 8 जनवरी 2025 (18:11 IST)
kartarpur
जसकीन कौर सलूजा
किसी युद्ध को जीतना हो गया या किसी यात्रा को सफल बनाना हो। हम अक्‍सर यह कहते हैं कि ‘वाहे गुरु जी दा खालसा, वाहे गुरु दी फतेह...’ मेरी पाकिस्‍तान में करतारपुर साहिब की यात्रा में मानो यह जयकारा मेरे लिए साकार हो गया। मेरी कुछ घंटों की करतारपुर की यात्रा ने मुझे सफर का और करतारपुर साहिब के दर्शन के खूबसूरत अहसास से सराबोर कर दिया। वे मेरी जिंदगी के ऐसे कीमती अहसास हो गए हैं कि जिन्‍हें मैं ताउम्र न सिर्फ अपने मोबाइल की गैलरी में बल्‍कि अपने मन में भी सहेजकर रखूंगी। करतारपुर साहिब से लौटने के बाद मैं यात्रा के उत्‍साह और भक्‍ति के अहसास से आनंदित हूं।
 
ऐसे शुरू हुआ मेरा सफर : साल 2024 को यादगार बनाने के लिए मुझे करतारपुर साहिब के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक अनुभव भी था, जिसने मेरे मन पर गहरी छाप छोड़ी दी है। पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सिखों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। करतारपुर कॉरिडोर के खुलने से यह संभव हो पाया है कि अब श्रद्धालु बिना वीजा के ही महज एक परमिट की मदद से इस पवित्र स्थल की यात्रा और दर्शन कर सकते हैं। गुरु नानक देव जी द्वारा स्थापित इस पवित्र स्थल पर जाकर मुझे एक अद्भुत शांति और सुकून का एहसास हुआ। यह मेरे जिंदगी के अब तक के बेहद खास अनुभव रहा।
 
उत्‍साह से भर उठी मैं : जब मैंने करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से यात्रा शुरू की, तो मेरे मन में एक अजीब सी उत्सुकता और उत्साह था। यात्रा शुरू होने से पहले मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे कुछ अनदेखी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। किसान आंदोलन के कारण हमें करतारपुर कॉरिडोर तक का रास्ता तय करना किसी परीक्षा सेंटर पहुंचने से कम नहीं लगा। हमारे अंदर की उत्सुकता और रौशनी मानों कहीं खो सी गई थी। किसानों ने ट्रैक्टर और ट्रॉलियों से रास्ता बंद कर रखा था। हमें पुलिस कर्मियों द्वारा कोई सहयता नहीं मिली। पंजाब की गलियों में कर्फ्यू जैसा माहौल था। न कोई इंसान और न ही कोई गाड़ी आसपास सिर्फ हम और हमारी प्रार्थना। ऐसी परिस्‍थिति देख हमने हार ही मान ली थी, मानों शायद हमारी किस्मत में दर्शन करना नहीं लिखा हो। लेकिन कहते हैं किस्मत से ज़्यादा और किस्मत से कम किसी को कभी नहीं मिला है।
 
वाहेगुरु तेरा शुकर है : ऐसा ही कुछ हमारे साथ हुआ इंदौर से दिल्ली तक का रास्ता और फिर किसान आंदोलन के कारण अमृतसर तक का लम्बा रास्ता तय करना कोई आसान बात नहीं थी। लेकिन मेरे मन में करतारपुर साहिब के दर्शन करने की प्रबल इच्‍छा थी और उसका अंजाम यह हुआ कि हमारी इस श्रद्धा को शायद गुरु नानक देव जी ने भी महसूस कर लिया था। इसलिए जितनी मुश्‍किलें थीं, रास्‍ते भी उतने ही आसान होते गए।
 
आसान नहीं था 9 चेक प्‍वॉइंट पार करना : इसी ताकत और उम्मीद के साथ हमने करतारपुर कॉरिडोर का रास्ता पंजाब के पिंडों से शुरू किया। जहां जहां किसानों ने बैरिगेट और ट्रैक्टर लगा रखे थे वहां वहां उतर कर हमने अपने एप्लिकेशन को दिखाया और विनती की। शायद ये हमारा सौभाग्य था कि किसानों ने हमें समझा और हमारे हाथ में  हाथ मिलाया। इसी तरह हमने कम से कम 9 चेकप्‍वॉइंट को पार किया। जैसे ही हम करतारपुर कॉरिडोर पहुंचे मेरे पहले बोल थे 'वाहेगुरु तेरा शुकर है'
 
फिल्‍मों में देखे दृश्‍य हकीकत में हुए साकार : करीब दोपहर 12 बजे सीमा पार करते ही एक अलग सा माहौल था। वहां की गलियों और लोगों को देख एक अलग ही एहसास था। जो मैं फिल्मों में देखती थी लगभग उसी पहनावे में मुझे पाकिस्तानी लोग नज़र आए। गुरुद्वारे के परिसर में प्रवेश करते ही एक अद्भुत शांति का अनुभव हुआ। सफेद संगमरमर से बनें गुरद्वारे ने अपनी भव्यता और सुंदरता से मन मोह लिया था। गुरुद्वारे के अंदर, मैंने गुरु ग्रंथ साहिब के सामने माथा टेका और प्रार्थना की। वहां का शांत और पवित्र वातावरण मन को शांति से भर देता है। मैंने वहां बैठे श्रद्धालुओं को गुरुबानी का पाठ करते हुए सुना, जिससे वातावरण और भी भक्तिमय हो गया।
 
ताउम्र याद रहेगी ये यात्रा : वहां की बोली ने हमें आकर्षित किया। मैंने सरोवर साहिब में पंज इशनान कर भगवान का धन्यवाद् किया। गुरुद्वारे के परिसर में बनें मार्किट से मैंने कुछ यादगार चीज़ें खरीदीं जो शायद मुझे हमेशा याद दिलाती रहेगी कि भगवान के दर पर पहुंचना इतना आसान नहीं। शाम 4 बजे हमने करतारपुर साहिब से रवांगी ली। वापिस आने पर मुझे अपने देश की कीमत समझ आई क्यूंकि में जबतक पाकिस्तान की धरती पर थी तब तक मन में। मैं खुद को सौभाग्यशाली ही मानूंगी जो मुझे गुरु नानक देव जी के इस पवित्र स्थल का दर्शन करने का पावन अवसर मिला। पंजाबी होते हुए करतारपुर साहिब की यात्रा मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव था। इसने मुझे गुरु नानक देव जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं को और गहराई से समझने का अवसर दिया। मैं इस यात्रा के लिए कृतज्ञ हूं और आशा करती हूं कि भविष्य में भी मुझे इस पवित्र स्थल के दर्शन करने का मौका मिले। यह यात्रा मेरे जीवन का एक बेहद अमूल्य हिस्सा बन गई है जो आजीवन मेरे साथ रहेगी।
 
 

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