जीत के संग सम्मान दिलाए

सीमा सिंघ
NDND


शीतल, धवल, ये निश्छल मन, करने चले नमन,
लहराने तिरंगा ले के ख्वाहिश सब ओर हो अमन।

चाहत और वफादारी का पैगाम, देता सरहद पे,
बैठा सिपाही निभाने को वादा, देश में हो अमन।

न ये तेरा है न मेरा है भारत हर हिन्दुस्तानी का,
रंग- रंग के खिलते फूल जहाँ ये है वो चमन।

बना देश को गौरवशाली लहरा कर शान दिखाए ये,
जीत के संग सम्मान दिलाए कहलाए ये मेरा वतन।

छब्बीस जनवरी, पन्द्रह अगस्त को लाल किले पर,
लहराए जो तिरंगा तो झूमे 'सीमा' हर एक मन।