15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने खादी सिल्क के राष्ट्रध्वज का उल्लेख अपने भाषणों में किया था। इस अभियान के प्रमुख रवि अतरोलिया ने बताया कि पहले तिरंगे का पता लगाने के लिए केंद्रीय संग्रहालय, रक्षा मंत्रालय व अन्य कई संबंधित विभागों से पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन किसी ने भी ध्वज के बारे में जानकारी नहीं दी।
यह एक लापरवाही ही है कि ऐतिहासिक राष्ट्र ध्वज देश के किसी राष्ट्रीय संग्रहालय में भी नहीं है। तिरंगा अभियान ने केंद्र सरकार से मांग की है कि सरकार इस बात का पता लगाए कि आखिर यह राष्ट्र ध्वज गया कहां है, क्योंकि वह केवल राष्ट्र ध्वज ही नहीं है,बल्कि उससे हमारे देश के लाखों लोगों की भावनाएं और कुरबानियां जुड़ी हैं।