आईटी 2010 : हाईटेक हुई जिंदगी

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आईटी के लि‍ए वर्ष 2010 काफी मि‍लाजुला रहा है लेकि‍न शुरुआत जि‍तनी अच्छी थी उतना अंत अच्‍छा नहीं रहा। शुरुआत जहाँ आईटी और बीपीओ इंडस्‍ट्री में नि‍र्यात की बढ़त को लेकर हुई थी लेकि‍न साल जाते जाते हमें सत्‍यम से भी बड़े एक घोटाले की सौगात देकर जा रहा है।

नासकॉम की एक रि‍पोर्ट के मुताबि‍क पि‍छले वर्ष की तुलना में आईटी और बीपीओ सेक्‍टर में नि‍र्यात के क्षेत्र में 5.5 प्रति‍शत की वृद्धि‍ दर्ज की गई है। इस वर्ष अमेरि‍का से सेवाओं की माँग में भी वृद्धि‍ हुई।

मोबाइल और लैपटॉप हुए सस्‍ते
मोबाइल लैपटॉप यूजर्स के लि‍ए यह वर्ष अच्‍छा रहा। इस बार मोबाइल और लैपटॉप के दीवानों के लि‍ए इनके मॉडल्स के वि‍कल्‍पों के साथ उनकी कीमतों के वि‍कल्‍प भी मौजूद हैं। इस वक्त बाजार में 800 रू. से लेकर 2 लाख तक के मोबाइल मौजूद हैं। इसी तरह आप लैपटॉप भी 8000 से लेकर 4 लाख तक की रेंज में खरीद सकते हैं।

साथ ही गेमिंग सॉफ्टवेयर और सीडी भी सस्‍ती हो गई हैं। छोटे शहरों में बढ़ती पहुँच के कारण 2011 में पर्सनल कंप्यूटरों की माँग बढ़ने के आसार हैं और बिक्री 24.7 प्रतिशत बढ़कर 1.32 करोड़ इकाई होने का अनुमान है।

2011 में डेस्क पीसी बाजार पाँच प्रतिशत बढ़कर 72 लाख इकाई हो सकता है जबकि लैपटाप का बाजार 61 प्रतिशत बढ़कर 59 लाख इकाई रहेगा। देश के छोटे शहरों से कंप्यूटरों की माँग लगातार बढ़ रही है।

इसके अलावा कंप्यूटरों की घटती कीमत का असर भी बाजार धारणा पर पड़ा है। एक अनुमान के अनुसार फिलहाल कंप्यूटर व्रिकेताओं की 35 प्रतिशत आय गैर महानगरीय शहरों से होती है जो 2013 के अंत तक 50 प्रतिशत हो जाएगी।

मोबाइल ग्राहक बढ़े
देश में अगस्त माह के दौरान 1.5 करोड़ नए मोबाइल ग्राहक बने हैं। इसके साथ ही देश में कुल फोन ग्राहकों की संख्या 49.40 करोड़ पर पहुँच गई है, जो सरकार के 2012 के लक्ष्य के करीब है। ट्राई की ओर से जारी बयान के अनुसार, माह के दौरान 1.508 करोड़ नए मोबाइल ग्राहक (जीएसएम, सीडीएमए और एफडब्ल्यूपी) जुड़े, जिससे देश में मोबाइल ग्राहकों की कुल संख्या 45.674 करोड़ पर पहुँच गई है।

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नहीं चला 3जी का जादू
दूरसंचार क्रांति‍ में सबसे बड़ा धमाका करने वाली 3जी टेक्‍नोलॉजी की शुरुआत धीमी रही है। फि‍लहाल चारों महानगरों में ये सेवाएँ सार्वजनि‍क क्षेत्र की दो कंपनि‍यों बीएसएनएल और एमटीएनएल और नि‍जी क्षेत्र की दो कंपनि‍यों टाटा टेलीकम्‍युनि‍केशन और रि‍लायंस कम्‍युनि‍केशन द्वारा शुरू कर दी गई हैं।

वि‍शेषज्ञों मानना है कि‍ 3-जी सेवाओं का फैलाव काफी हद तक ऑपरेटरों की ‘प्राइसिंग’ पर निर्भर करेगा। देश में कुल मोबाइल उपभोक्ताओं में से 80 से 90 प्रतिशत ऐसे हैं, जो अपने मासिक बिल में 100-150 रुपए की बढ़त को ‘अफोर्ड’ नहीं कर सकते।

3जी वस्‍तुत: ऐसी तकनीक है जि‍ससे फोन उपभोक्‍ता अपने फोन से तरंगों के माध्‍यम से आवाज और वीडि‍यो या फोटोज का स्‍थानांतरण तेज गति‍ से कर सकते हैं।

अब एसटीडी भी लोकल
बीएसएनएल अपने लैंडलाइड ग्राहकों को नई सौगात दी है। अब बीएसएनएल अपने फिक्स्ड लाइन नेटवर्क से देश भर के लैंडलाइन नम्बर पर की जाने वाली एसटीडी कॉल को लोकल कॉल के तौर पर लेती है। यह सेवा एक दि‍संबर से चालू कर दी गई है। कभी बाजार में एकाधिकार रखने वाली सरकारी कंपनी अपने गैर-मोबाइल कारोबार में नई जान फूँकने की कोशिश कर रही है, जो उसके लिए सबसे ज्यादा आमदनी जुटाने वाला माध्यम बना हुआ है।

घाटे में चल रही दूरसंचार कंपनी के सभी 2.7 करोड़ लैंडलाइन ग्राहकों अब देश में कहीं भी लैंडलाइन पर फोन करते वक्त एसटीडी शुल्क नहीं चुकाने होंगे। उद्योग के कई जानकार इस कदम को लंबी दूरी के टैरिफ के लिए अलग स्लैब खत्म करने की दिशा में पहला कदम बता रहे हैं।

टेलिकॉम एनालिस्ट का कहना है कि इससे लैंडलाइन कारोबार में भी कीमतों की जंग छिड़ सकती है और एमटीएनएल, भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस तथा टाटा टेलिसर्विसेज जैसी कंपनियों से भी इसी तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है, जो फिक्स्ड लाइन सेवाएँ मुहैया कराती हैं।

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चाइना मोबाइल पर लगी रोक
मुंबई हमलों में संवाद के लि‍ए आतंकवादि‍यों द्वारा बि‍ना आईएमईआई पहचान नंबर वाले मोबाइल के इस्‍तेमाल के बाद गृह मंत्रालय ने कड़े कदम उठाते हुए बिना पहचान संख्‍या वाले फोन पर प्रति‍बंध लगा दि‍या। साथ ही ऐसे लाखों चालू मोबाइल फोन तत्‍काल प्रभाव से बंद कर दि‍ए गए।

इस तरह के हैंडसेटों का एक बड़ा हिस्सा चीन से आता था। जिन फोनों में अंतरराष्ट्रीय मोबाइल इक्विपमेंट पहचान आईएमईआई संख्या नहीं होती उन्हें सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जाता है।

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विशिष्ट पहचान संख्या
इस वर्ष सरकार ने देश के हर नागरिक को वि‍शि‍ष्ट पहचान संख्‍या देने का नि‍र्णय लि‍या है। सरकार का दावा है कि‍ विशिष्ट पहचान संख्‍या से जरूरतमंदों तक सरकार की मदद पहुँचेगी। उन्हें हर तरह की सरकारी सुविधा हासिल होगी। इसमें देश के हर नागरिक की उँगलियों के निशान और आँख की पुतलियों की तस्वीर ली जाएगी।

केन्द्रीय यूआईडी डेटाबेस राष्ट्रीय स्तर पर सभी नागरिकों की पहचान का पहला संग्रह होगा। विभिन्न एजेन्सियाँ भी केन्द्रीय यूआईडी डेटाबेस से ऑनलाइन सम्पर्क कर कुछ ही सेकंड में किसी भी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित कर सकेंगी। बायोमेट्रिक तरीके से इकट्ठा की गई यह जानकारी और आँकड़े 24 घंटे सरकारी एजेंसियों के लिए उपलब्ध रहेंगे।

देश में इसे लेकर विरोध के स्वर भी उभरने लगे हैं। कई नागरिक संगठनों का कहना है कि इससे नागरिक अधिकारों का हनन होता है. इस तरह की जानकारी पहले अपराधियों के लि‍ए इकट्ठा की जाती थी। सगंठनों को एतराज है कि उँगलियों के निशान इकट्ठा करने जैसे तरीके अब नागरिकों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

साथ भारतीय अद्वितीय पहचान प्राधिकरण आईटी उद्योगों के लाभ के लि‍ए राष्ट्रीय आईडी कार्ड प्रोजेक्ट शुरू करने वाला है जो आईटी उत्‍पादों और सेवाओं की माँग को गति‍ देगा।

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ग्रामीणों के लि‍ए मोबाइल सेवा
इस साल सरकार ने गाँव में रहने वाले लोगों को मोबाइल सेवा उपलब्ध कराने के इरादे से यूएसओ कोष की मदद से अगले वित्त वर्ष में देश भर में 10,000 दूरसंचार टावरों की स्थापना का काम शुरू कि‍या गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में किफायती दर पर टेलीफोन सेवा उपलब्ध कराने के मकसद से यूएसओ कोष (वैश्विक सेवा बाध्यता कोष) भी बनाया गया है। इसके द्वारा 2012 तक 60 करोड़ लोगों तक दूरसंचार सेवा पहुँचाने का लक्ष्य है। इसमें से 57 करोड़ से अधिक का आँकड़ा पहले ही प्राप्त कर लिया गया है।

नेटवर्कों में भारत 43वें स्थान पर
दुनिया में सबसे ज्यादा नेटवर्क वाले देशों की सूची में भारत 43वें स्थान पर आ गया है। ग्लोबल इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी रिपोर्ट 2009-10 के अनुसार, भारत ने इस सूची में पिछले साल की तुलना में नौ स्थानों की छलाँग लगाई है।

आउटसोर्सिंग में भारत नंबर 1
बाहर से काम करवाने (आउटसोर्सिंग) के मामले में भारत दुनिया में अब भी सबसे पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है, हालाँकि फिलिपींस, विएतनाम तथा इंडोनेशिया में आकर्षक लागत तथा चीन में बढ़ते कारोबार से उसे कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। अनुसंधान फर्म गार्टनर ने अपने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है। इस अध्ययन में 2010-11 के दौरान वैश्विक स्तर आउटसोर्सिंग गतिविधियों के लिहाज से शीर्ष 30 देशों को चिन्हित किया गया है।

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यह चयन 10 मानकों के आधार पर है। इसके अनुसार जो संगठन अपनी आईटी सेवाओं को कम लागत वाले देशों को स्थानांतरित करना चाहते हैं उनके समक्ष बड़ा सवाल यह रहता है कि कौन सा देश उनकी आवश्यकताओं पर खरा उतरता है। अध्ययन में भारत को वैश्विक अपतटीय गंतव्यों में सबसे सफल देश माना गया है।

गूगल और चीनी सरकार वि‍वाद
इस साल गूगल और चीनी सरकार के बीच वेब कंटेंट पर सेंसरशि‍प लागू करने और चीन के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ईमेल खातों की हैंकिंग के प्रयासों के कारण वि‍वाद बना रहा। वि‍वाद के कारण गूगल को चीन में अपना परि‍चालन समेटना पड़ा।

चीनी सरिकार का कहना था कि‍ गूगल को चीन में व्‍यवसाय जारी रखने के लि‍ए चीनी कायदे और कानूनों पर चलना होगा। लेकि‍न गूगल ने कहा था कि चीन में वह अपने वेब कंटेंट की सेंसरशिप नहीं होने देगी। चीन में 40 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोक्ता हैं लेकिन यूट्यूब, फेसबुक तथा ट्विटर जैसी सभी सोशल साइटों को फायरवाल ने बंद कर दिया है।

घोटाले का राजा
इस वर्ष सामने आया 2जी घोटाला संभवत: अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। सत्‍यम घोटाले में 8000 करोड़ रुपए का हेर फेर हुआ था लेकि‍न 2जी में ये आँकड़ा लाखों में पहुँच गया है। 2जी स्‍पेक्‍ट्रम के आवंटन में हुई गड़बडि‍यों की जाँच जब कैग द्वारा कराई गई तो पता चला कि‍ इसमें सरकार को लगभग 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का चूना लगा है।

रिपोर्ट में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा को आवंटन की प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के लिए जिम्‍मेदार ठहराया गया है और उनके द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह न मानने की बात भी कही गई है।

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2जी स्‍पेक्‍ट्रम के आवंटन में उचित प्रक्रिया नहीं अपनाने से सरकारी खजाने को करीब एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।‍ रि‍पोर्ट में यह भी कहा गया है कि‍ ए राजा ने 2008 में नियमों का उल्लंघन करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन किया और टेलीकॉम कंपनि‍यों को फायदा पहुँचाया।

वि‍कीलीक्‍स खुलासे
साल के जाते-जाते इंटरनेट का जाल अमरीकी सरकार के लि‍ए खासी अड़चने पैदा कर गया। वि‍कीलीक्‍स नामक एक वेबसाइट ने अमेरि‍की जासूसी की पोल खोल दी है। वि‍कीलीक्‍स ने ऐसे हजारों दस्‍तावेज जारी कि‍ए हैं जि‍नमें अमेरि‍का द्वारा दूसरे देशों की जासूसी का ब्‍यौरा दि‍या गया है।

इससे अमेरि‍की सत्ता के गलि‍यारों में हड़कंप मच गया है और अब उसे पूरे वि‍श्व समुदाय से माफी माँगनी पड़ रही है। वि‍कीलीक्‍स के इन खुलासों से एक ओर जहाँ इंटरनेट की ताकत की पराकाष्ठा से पूरा वि‍श्व परि‍चि‍त हुआ है वहीं दूसरी ओर इससे होने वाले नुकसानों का भी अब लोग अंदाजा लगाने लगे हैं क्‍योंकि‍ इससे अब सायबर युद्ध का खतरा मँडराने लगा है।

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