प्रेम पत्र

अवनीश गौतम

उसके लिए
किताब में छुपाकर
रखा है लड़की ने एक प्रेमपत्र
जिससे करती है प्रेम वो

पिता ने पढ़ी किताब
रख दी
प्रेमपत्र नहीं पढ़ा

माँ ने पढ़ी किताब
रख दी
प्रेम पत्र नहीं पढ़ा

दीदी की बिटिया ने
एक दिन पा ली किताब
छोटी-सी बिटिया ने
फाड़ डाली समूची किताब
पन्ने-पन्ने उड़ा दिए हवा में
प्रेमपत्र की बना डाली नाव
घर के पीछे बहती नदी में
तैरा दी नाव

प्रेमपत्र का सफर शुरू हो गया है।
बिटिया नाव के पीछे-पीछे
दौड़ रही है
लड़की कैलेंडर में तारीखें बदल रही है।

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