यही दुआ करता हूँ मैं

माँगीलाल मोद

भरी दुनिया में रहकर भी खुद को तन्हा पाता हूँ मैं
जानता हूँ उम्र भर के लिए कोई साथ नहीं देता,
फिर भी सफर में कोई हमसफर चाहता हूँ मैं

हर मुस्कुराते चेहरे को दिली खुशी नहीं होती,
फिर भी दुनिया को दिखाने के लिए मुस्कुराता हूँ मैं,

अपने सब वादों-कसमों को तोड़ दिया है उसने,
कि अब तो हर कसमे-वादों को दिल्लगी समझता हूँ मैं,

तेरा दिया हुआ हर ज़ख्‍म दिल में एक टीस की तरह चुभता है,
फिर भी तुझे हर खुशी मिले यही दुआ करता हूँ मैं!!

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