सावन की बदली, तुम्हारी यादें ...!

फाल्गुन
यादें,
सावन की वह बदली,
जो खुद नहीं जानती
कब बरस पड़ेगी,
बरसेगी भी,
या हकीकत की आँधी से
उड़कर चली जाएगी
न मालूम कहाँ,

उड़ेगी भी
या भावावेश में
बरस ही जाएगी
यहाँ या वहाँ..?
सावन की बदली, तुम्हारी यादें ...!
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2. सावन की फुहार से
धुला हुआ
कोई पत्ता
कितना खुश है
नहीं जानता
मासूम और भोला
कि धूप बस
निकलने ही वाली है
और उसकी खुशी
कितनी खोखली-बेमानी है।

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