फाल्गुनी सावन की बेखौफ बरसती बूँदें मुझे भिगो रही हैं और मैं तुम्हारी यादों को खोलकर फैलाने के लिए किसी सूखे कोने की तलाश में हूँ चाहती हूँ तुम्हारी यादें न भीगने पाएँ कहीं से लाकर दो मुझे एक मुट्ठी हवा एक चुटकी धूप अंजूरी भर जमीन और थोड़ा सा आसमान ------------- 2. बहुत प्यार है मुझे सावन से इसीलिए मैं इसमें भीगकर इसे बहुत चाहती हूँ और ये नादान मुझमें समाकर तुम्हें चाहने लगता है क्या है तुममें ऐसा जो सावन को भी बेबस बना देता है।