हिन्दी कविता : मीरा

नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे, 
पल-पल तुम्हें निहारे। 


 
ये पगली तुम्हें पुकारे प्रभु, 
ये पगली तुम्हें पुकारे।
 
प्रात:काल उठ क्रिया-कर्म कर, 
करती है स्नान। 
 
थाल सजाकर पूजा हेतु, 
धरती आपका ध्यान।
 
तेरे चरणों का वंदन करके, 
आरती तेरी उतारे। 
 
ये पगली तुम्हें पुकारे।

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